इमरती देवी के लिए आयोजित मौन धरने के बीच में ही उठ गए ज्योतिरादित्य सिंधिया

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इंदौर, आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश की राजनीति में पूर्व सीएम कमलनाथ (kamalnath) के आइटम (item) वाले बयान ने भूचाल ला दिया है। यही वजह है कि कांग्रेस (congress) अब इस बयान पर बचाव करती नजर आ रही है। लेकिन इसी बीच इंदौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) ने कुछ ऐसा कर दिया कि अब उनपर सवाल उठने लगे हैं।

डबरा से बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी (imarti devi) को लेकर पीसीसी चीफ द्वारा बिना नाम लिए कसे गए तंज पर बीजेपी (bjp) ने सोमवार को विरोध जताया। जहां सीएम शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chauhan) भोपाल में 2 घण्टे तक मौन धरने पर बैठे, वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (vd sharma) ग्वालियर में मोर्चा संभाले हुए थे। लेकिन इंदौर में जो कुछ हुआ वो उपचुनाव की राजनीति से परे नजर आया। दरअसल, यहां बीजेपी ने शिद्दत से रीगल तिराहे पर गांधी प्रतिमा के ठीक पीछे मौन धरना देकर कमलनाथ और कांग्रेस का विरोध किया। लेकिन यहीं से एक सवाल भी प्रदेश की राजनीति में उपजा है। दरअसल, डबरा से बीजेपी प्रत्याशी के सम्मान में बीजेपी ने मौन धारण कर ये जरूर जता दिया कि बीजेपी उनके साथ है, लेकिन जिन महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया को इमरती देवी एक बड़े नेता के रूप में पूजती है उन्हीं ने उनके सम्मान में रखे मौन पर अब सवाल खड़े कर दिए हैं। बता दें कि बीजेपी ने सोमवार को 2 घण्टे याने 10 से 12 बजे तक मौन धारण कर महिला के सम्मान में मौन धरना दिया था। उसी बीजेपी के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया मौन धरने के 2 घण्टे भी पूरे नहीं कर सके और उन्होंने महज घण्टे भर में ही धरना स्थल से उठने का निर्णय ले लिया और मौन तोड़कर मीडिया से मुखातिब हो गए और फिर धरना स्थल से निकल गए। अब इस बात के मायने बीजेपी अलग ढंग से निकाल रही है क्योंकि वो खुद को अनुशासित पार्टी मानती है लेकिन सिंधिया ने बीजेपी के अनुशासन को धता बताकर अपने प्रिय तुलसी सिलावट के भरोसे मौन धरने को छोड़ गए।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।