शिवराज ने कहा- ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की लंका को जलाकर राख कर दिया

मुरैना, संजय दीक्षित। ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) ने काँग्रेस की पाप की लंका को जलाकर राख कर दिया है, ये बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chauhan) ने मुरैना-जौरा विधानसभा के पचबीघा में जनसभा को संबोधित करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने मंच से कमलनाथ (kamalnath) पर तंज कसते हुए कहा कि “ये तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाएंगे।”

आमसभा में कांग्रेस पर वार करते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि कमलनाथ ने सरकार में काबिज होने के बाद प्रदेश को दलाली के अड्डे में तब्दील कर दिया। विकास के नाम पर प्रदेश में कोई कार्य नहीं किया। केवल जनता के साथ छलावा किया हैं। भाजपा सिर्फ विकास पर विश्वास करती है। सरकार में रहते क्षेत्र में विकास कार्यों की झड़ी लगा दी हैं। शिवराज सिंह जेब में नारियल लेकर घूमता है तो बताओ क्या मैं शैंपेन की बोतल लेकर चलूं। नारियल तो धार्मिक भावना का प्रतीक है, जहां भी अच्छा काम करना होता हैं नारियल फोड़ा जाता है। जौरा में कभी भी ऐसा विकास ना हुआ है ना कभी ऐसा होगा। पहले भी मैंने विकास किया था और उसका रिकॉर्ड भी में तोडूंगा। कोई चिंता मत करना जो किया है उससे ज्यादा ही विकास करूँगा। कांग्रेसी उल्टा सीधा बक रहे हैं, पहले कहते थे शिवराज सिंह नालायक है फिर कहते थे कि शिवराज सिंह तो नारियल लेकर चलते रहते हैं। हम तो विकास के काम करते हैं। जब शिलान्यास करते हैं तो नारियल फोड़ते हैं। अब कमलनाथ आपकी किस्मत में नारियल फोड़ना नहीं था आपने कुछ किया धरा नहीं। हम कर रहे हैं तो फिर काहे के लिए जल रहे हो। नारियल लेकर चल रहे हैं कोई शैंपेन की बोतल लेकर नहीं चल रहे हैं। नारियल देवी मां को चढ़ाया जाता है। मैं जनता को सिर झुका कर प्रणाम करता हूं तो कहते हैं कि शिवराज सिंह ने तो घुटने टेक दिए। मैं एक बार नहीं 1 लाख बार घुटने टेक दूँगा। यह मेरे संस्कार में है। कांग्रेस के संस्कारों में नही है। मैं जनता को भगवान मानता हूं। दिल में रहने वाली जनता मेरी भगवान है और जनता का पुजारी शिवराज सिंह चौहान है। हम तो जनता की सेवा करते हैं। हम तो जनता के सामने झुकते हैं हम तो जनता के चरणों में भी शीश झुकाते हैं। प्रणाम करना हमारे संस्कार है। फिर कहते हैं शिवराज सिंह चौहान तो नंगे भूखे हैं मैं तो घर में ही पैदा हुआ हूं। पहले अस्पताल नही थे, घर में ही पैदा हुआ हूं। हमारा नरा तो वही गड़ा है, तुम बता दो कमलनाथ जी तुम्हारा नरा कहां गड़ा हुआ है। तुम्हारा गांव कहां है किस गांव से आए हो। हमने इस धरती पर जन्म लिया हैं और इसी माटी में मर जायेंगे।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।