मध्यप्रदेश में नीमच से दो-दो मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा और सुंदरलाल पटवा बने। लेकिन नीमच विस से चुने गए विधायक को 56 साल से कांग्रेस-भाजपा सरकार में मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। अब 2018 के परिणाम घोषित होने के बाद क्षेत्र के लोगों को उम्मीद है इस बार किसी भी दल की सरकार बने, यह तय है इस विस का प्रतिनिधित्व करने वाले की उपेक्षा नहीं की जाएगी।
नीमच। श्याम जाटव।
क्षेत्र से 1952 से 1957 तक स्व.सीताराम जाजू तत्कालीन मध्यभारत के मुख्यमंत्री मिश्रीलाल गंगवाल और तख्तमल जैन के कार्यकाल में मंत्री रहे। स्व. जाजू 1960 से 1962 तक मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू की सरकार में भी मंत्री रहे। इसके बाद से यह विस लालबत्ती विहिन हैं।
-शिवाजी को मौका नहीं मिला
जनसंघ के जमाने से विधायक रहे स्वर्गीय खुमानसिंह शिवाजी 5 चुनाव नीमच विधानसभा से जीते लेकिन उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। शिवाजी ने पहला चुनाव 1962 में लड़ा था और कांग्रेस के कद्दावर नेता संविधान सभा के सदस्य रहे स्व. सीताराम जाजू को हराया था। शिवाजी ने आखरी चुनाव 2008 में लड़ा और कांग्रेस के रघुराजसिंह चौरिडय़ा को मात दी। खास बात यह है लंबे समय तक विधायक रहने के बाद भी मंत्री नहीं बनाया।
-कांग्रेस ने मौका नहीं दिया
1970 में कांग्रेस ने स्व. जाजू के खास मित्र स्व. रघुनंदप्रसाद वर्मा को उपचुनाव में मैदान में उतारा और उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता स्व.शिवाजी को पराजित किया। इसके बाद वर्मा 1972 और 1980 में विधायक बने। यानि तीन बार प्रतिनिधित्व करने के बाद भी मंत्री नहीं बन सके। इसी प्रकार 1985 में सीताराम जाजू के निधन के बाद उनके बेटे डॉ.संपतस्वरूप जाजू को टिकट दिया और चुनाव में विजय भी मिली। कांग्रेस की स्पष्ट बहुमत वाली सरकार होने के बाद भी इन्हें भी मंत्रीमंडल में जगह नहीं दी।
-10 साल से परिहार विधायक
भाजपा के दिलीपसिंह परिहार दो बार नीमच से विधायक है और तीसरी बार मैदान में है लेकिन परिणाम आना बाकी है। परिहार को भाजपा ने पहली बार 2003 में टिकट दिया और उन्होंने पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल को करीब 25 हजार वोट से हराया। 2013 में फिर पार्टी ने भरोसा किया और चुनाव में विजय हासिल की। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की गुड लिस्ट में होने के बाद भी इन्हें भी लालबत्ती नसीब नहीं हुई।
नीमच विधानसभा में अभी तक 15 चुनाव हुए। 1970 के उपचुनाव को छोडक़र 14 बार आम चुनाव हुए है। यहां से 7 बार कांग्रेस और 7 बार भाजपा को विजयी मिली। 1977 में समाजवादी नेता स्वर्गीय कन्हैयालाल डूंगरवाल जीते थे। तथ्य यह है कि नीमच विधानसभा सीट किसी एक पार्टी की परंपरागत नहीं रही हैं। 2018 का चुनाव का परिणाम आना बाकी है और इसमें किसको हार का मुंह का देखना पड़ सकता है। इसके लिए 11 दिसंबर तक इंतजार करना होगा।