एमपी चुनाव : इन सीटों पर बागियों ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय, भाजपा-कांग्रेस में हड़कंप

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छतरपुर। 

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। दो दिनों बाद चुनाव प्रचार थम जाएगा।वही भाजपा और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बागी बन चुनावी मैदान में उतरे कई उम्मीदवारों ने दर्जनों विधानसभा सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। ऐसे में यही बागी भाजपा कांग्रेस का गणित बिगाड़ने में लगे हुए है।हम बात कर रहे है छतरपुर जिले के बिजावर,चंदला और राजनगर विधानसभा सीटों की।  जहां इस बार समीकरणों में बदलाव देखा जा रहा है। इन तीन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बने हुए है। त्रिकोणीय मुकाबले में सपा भाजपा-कांग्रेस को टक्कर देती हुई नजर आ रही है।वही बसपा भी अपना जोर लगाने से पीछे नही हट रही।इस रोचक मुकाबले पर अब सबकी नजर आ टिकी है। 

दरअसस, हम बात कर रहे है जिले की बिजावर,चंदला और राजनगर विधानसभा सीटों की।यहां सपा के मजबूत उम्मीदवारों की मौजूदगी ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। है। बिजावर में भाजपा उम्मीदवार पुष्पेन्द्रनाथ पाठक, कांग्रेस प्रत्याशी शंकरप्रताप सिंह और कांग्रेस से बगावत कर समाजवादी पार्टी कै बैनर तले चुनाव लड़ रहे राजेश शुक्ला के बीच त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। राजनगर में भाजपा उम्मीदवार अरविंद पटेरिया, कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम सिंह नाती राजा और कांग्रेस से बगावत कर समाजवादी पार्टी का झंड़ा थामने वाले नितिन चतुर्वेदी के बीच मुकाबला हो रहा है। जबकि चंदला में भाजपा उम्मीदवार राजेश प्रजापति,कांग्रेस प्रत्याशी हरप्रसाद अनुरागी और भाजपा से बागी होकर सपा के टिकट से चुनाव लड़ रही अनित्या सिंह के बीत त्रिकोणीय संघर्ष चल रहा है।इस मुकाबले ने भाजपा कांग्रेस की नींद उड़ा दी है।दोनों ही सीट पर कब्जा पाने हर संभव प्रयास कर रहे है।दोनों को भय है कही ऐन मौके पर बागी इनका खेल ना बिगाड़ दे।

ऐसा रहा है इन सीटों का इतिहास

चंदला विधानसभा –

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में आने वाली चंदला विधानसभा सीट पर ना तो लम्बे समय तक कांग्रेस राज कर पाई है और ना ही बीजेपी। हालांकि, 2013 के चुनाव में यहां बीजेपी जीतकर आई। वर्तमान में यहां विधायक हैं आर. डी प्रजापति। उनके पहले 2008 में राम दयाल अहिरवार जीतकर आए थे।बीजेपी और कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी भी इस सीट से जीतकर आई थी। 1998 और 2003 में विजय बहादुर सिंह बुंदेला यहां से लगातार जीतकर आए थे। मालूम हो कि वर्तमान विधायक आरडी प्रजापति यहां काफी लोकप्रिय हैं, यही वजह है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने उन्हें मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी जीत दिलवाई थी। 2013 के चुनाव में आरडी प्रजापति जो कि भाजपा के प्रत्याशी थे को 65959 वोट प्राप्त हुए तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी हरप्रसाद अनुरागी को 28562 वोट प्राप्त हुए थे। चंदला विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो हरिजन सीट में सामान्य वर्ग का मतदाता हमेशा निर्णायक भूमिका में रहा है। अवैध रेत खदान और उखड़ी सड़के इस क्षेत्र में पार्टियों के लिए प्रमुख मुद्दा है। वहीं नीलगाय से खेती के नुकसान को रोकना और स्वास्थ्य केन्द्रों में मेडिकल स्टाप की उपलब्धता के मुद्दे मतदाताओं के मानस पर छाए हुए हैं। 


राजनगर विधानसभा-

जिले की छह में से सिर्फ यही सीट है जो पिछले दस साल से कांग्रेस के कब्जे में है। कांग्रेस के नेता विक्रम सिंह नाती राजा इस सीट पर विधायक हैं। कांग्रेस के विक्रम सिंह नाती राजा ने 48643 वोट से जीत हासिल की थी तो वहीं भाजपा के डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया को 46036 वोट मिले थे। लेकिन इस बार पार्टी से नाराज चल रहे कुसमारिया निर्दलीय ताल ठोक रहे है। ऐसे में पार्टी की मुश्किलें बढ़ने के आसार है वही इस बार सपा और बसपा भी अब प्रभाव छोड़ने की कोशिश में लगी हुई है। इस विधानसभा सीट पर खजुराहो को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने और एनटीपीसी का रुका काम दोबारा शुरु कराने के मुद्दे पार्टियों के लिए अहम माने जा रहे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करना और ड्ग्रिी कॉलेज और स्वास्थ्य केन्द्रों में पार्यप्त स्टाफ के मुद्दे पर मतदाता नजर बनाए हुए हैं।

बिजावर विधानसभा

पिछले आंकड़े देखा जाए तो यह विधानसभा सीट 2003, 2008 और 2013 से बीजेपी के पास रही है, लेकिन हर बार नए चेहरे के साथ। यहां 2003 में जितेन्द्र सिंह बुंदेला जीतकर आए थे। इसके बाद पार्टी ने 2008 में यहां से आशा रानी को टिकट दिया था. जो यहां से जीतने में कामयाब रही थी. उनके बाद 2013 में बीजेपी ने पुष्पेन्द्र नाथ पाठक को टिकट मिला और वो जीतकर भी आए यहां पुष्पेंद्रनाथ पाठक गुड्डन विधायक हैं, पिछले चुनाव में उन्होंने राजेश शुक्ला को चुनाव हराया था। आदिवासी बाहुल्य यह सीट काफी समय से मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर सुर्ख़ियों में रही है. इस बार भी यहां के लोगों को क्षेत्र के विकास की आस है। हालांकि, यहां बीजेपी अच्छी स्थिति में दिखाई दे रही है। पिछले 15 साल से भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर रोजगार और गौवंश संवर्धन के लिए दुग्ध शीत केन्द्र को दोबारा शुरू करना और नए कॉलेज खोलना व पुराने कॉलेजो में उच्च शिक्षा के नए-नए पाठ्यक्रम शुरु करने के मुद्दे पार्टियों के लिए अहम माने जा रहे हैं। वहीं पहाड़ी इलाके में जलसंकट, सूदूर के गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं और संपर्क मार्ग जैसे मुद्दे जनता के मानस में जगह बनाए हुए हैं


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