छतरपुर।
इस बार का विधानसभा चुनाव भाजपा-कांग्रेस के लिए भले ही कांटे की टक्कर वाला रहा हो, लेकिन सपा के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया है। दस सालों बाद यहां सपा के एक उम्मीदवार ने अपनी जगह बनाई और खाता खोला। इससे पहले 2008 में सपा की एक महिला प्रत्याशी ने जीत का परचम लहराया था। अब सरकार किसकी भी बने लेकिन सालों बाद फिर समाजवादी पार्टी का एक विधायक विधानसभा पहुंचेगा।
दरअसल,इस बार के दिसचस्प चुनाव में एक बड़ा उलटफेर छतरपुर की बिजावर सीट पर देखने को मिला।2003 से इस सीट पर एक तरफा राज कर रही भाजपा को जबरदस्त शिकस्त मिली। यहां समाजवादी पार्टी के राजेश शुक्ला ने भाजपा के पुष्पेंद्र पाठक को 36 हजार से अधिक वोटो से हराकर इतिहास रच दिया। इससे पहले वर्ष 2008 में मीरा दीपक यादव निवाड़ी से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची थीं। उसके बाद वर्ष 2013 में सपा का खाता भी नहीं खुल पाया था।दस सालों बाद पहला मौका होगा जब समाजवादी पार्टी का कोई विधायक विधानसभा पहुंचेगा।
बताते चले कि सपा ने इस बार प्रदेश में 52 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इसके अलावा उसने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनावी समझौता भी किया था। विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान इस बार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश के दस जिलों में 21 सभाएं ली थीं। 19 से 26 नवंबर तक वह बालाघाट, सीधी, सतना, रीवा, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, अशोकनगर और रायसेन जिले के दौरे पर रहे।
गौरतलब है कि इस बार यहां 2 लाख 5 हजार 631 मतदाता हैं, जिसमें एक लाख 11 हजार 391 पुरुष और 94 हजार 238 महिलाओं के अलावा 2 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। 2013 के चुनाव में पुष्पेंद्रनाथ ने राजेश शुक्ला को चुनाव हराया था। पाठक ने न केवल राजेश शुक्ला को 10 हजार 379 मतों से पराजित किया बल्कि उन्होंने इस विधानसभा से 50 हजार से अधिक मत हासिल कर रिकॉर्ड बनाया था।विधानसभा सीट 2003, 2008 और 2013 से बीजेपी के पास रही है। लेकिन हर बार नए चेहरे नजर आए। यहां 2003 में जितेन्द्र सिंह बुंदेला जीतकर आए थे। इसके बाद पार्टी ने 2008 में यहां से आशा रानी को टिकट दिया था। जो यहां से जीतने में कामयाब रही थी. उनके बाद 2013 में बीजेपी ने पुष्पेन्द्र नाथ पाठक को टिकट मिला और वो जीतकर भी आए।