ये बागी बिगाड़ेंगे सत्ता का समीकरण, मालवा निमाड़ की 12 सीट पर भाजपा कांग्रेस की परेशानी बढ़ी

Shashank Baranwal
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MP Election 2023

MP Election 2023: लाख कोशिश के बाद भी भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता मालवा निमाड़ की एक दर्जन सीट पर बागी उम्मीदवारों को नहीं रोक पाए। यह उम्मीदवार दोनों दल के समीकरण बिगाड़ेंगे और पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों की हार जीत तय करवाने में अहम भूमिका निभाएंगे। बागी नेताओं में दोनों दलों के क्षत्रपों को लेकर कितनी नाराजगी थी इसका अंदाज इसी बात से लगाए जा सकता है कि जब केंद्रीय नेताओं ने इन्हें समझाने की कोशिश की तो यह फट पड़े और उन्हें भी खरी खोटी सुनाने में पीछे नहीं रहे।

ये हैं मालवा निमाड़ के बड़े बागी, जिनसे तय होंगे सत्ता के समीकरण

बुरहानपुर – हर्षवर्धन सिंह चौहान

दिवंगत पिता की मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि के साथ सहानुभूति भी एक मजबूत पक्ष। भाजपा कांग्रेस दोनों के जातिगत समीकरण बिगाड़ेगे। ओवेसी की पार्टी के उम्मीदवार के मैदान में होने का भी फायदा मिलेगा।‌ चुनाव को इमोशनल टच देना शुरु कर दिया है इसका भी फायदा मिलेगा। भाजपा कांग्रेस दोनों के उम्मीदवारों से पार्टी के लोगों की नाराजगी का भी लाभ उठा रहे हैं।

महू-अंतर सिंह दरबार

लोगों की सहानुभूति और क्षेत्र में मजबूत संपर्क के आधार पर अभी तो चुनाव में भाजपा कांग्रेस को दोनों के लिए परेशानी का कारण बने हुए ‌है। शहर‌ और क्षेत्र दोनों में समान पकड़ रखते‌ है।‌ भाजपा में उषा ठाकुर का जो विरोध है उसका भी फायदा मिलेगा और रामकिशोर शुक्ला का टिकट होने से नाराज कांग्रेसी भी इनकी मदद करेंगे।

धार- कुलदीप सिंह बुंदेला

इनको भी दिवंगत पिता की मजबूत राजनैतिक पृष्ठभूमि भूमि का फायदा मिलना तय है। सहानुभूति का भी वातावरण है। ‌ बुंदेला परिवार का धार की राजनीति मे सालों तक दबदबा रहा है।‌ धार कस्बे के साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी प्रभाव है।‌ जातिगत समीकरण को भी प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं।

धार- राजीव यादव

लंबे समय‌ तक भाजपा का जिलाध्यक्ष रहने के कारण अच्छा नेटवर्क है।‌ कभी विक्रम वर्मा के खास सहयोगी थे अब कट्टर विरोधी। पीथमपुर क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है।‌ भाजपा के लिए परेशानी का कारण बनेंगे।‌

मल्हारगढ़ – श्यामलाल जोगचंद

जातिगत समीकरण इनके पक्ष में है।‌ ग्रामीण क्षेत्र में अच्छा नेटवर्क।‌दो बार कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं।‌ इनकी उम्मीदवारी कांग्रेस के साथ ही भाजपा उम्मीदवार प्रदेश के वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा को भी परेशान करेगी।

बडनगर- राजेंद्र सिंह सोलंकी

पहले कांग्रेस ने इन्हें अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया था बाद में टिकट बदल लिया तो बागी हो गये। जातिगत समीकरण के आधार पर वाक्य मजबूत करने में लगे हैं।  कांग्रेस के वोटों का विभाजन करेंगे। करणी सेना ने भी भी समर्थन दे दिया है इससे राजपूत वोटों का समीकरण प्रभावित होगा।

जोबट- माधौ सिंह डाबर

दो बार जोबट से विधायक रह चुके हैं और इन्हें उपचुनाव के बाद वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया था।‌ भाजपा से टिकट चाहते थे नहीं मिला तो बागी हो गये। पार्टी नेताओं ने बहुत समझाया पर माने नहीं। क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार विशाल रावत से ज्यादा लोकप्रिय। भाजपा के लिए परेशानी का कारण बनेंगे।

आलोट- प्रेमचंद गुड्डू

दो बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। इस बार बेटी रीना को कांग्रेस ने सांवेर से उम्मीदवार बनाया है। गुड्डू खुद आलोट से टिकट चाहते थे लेकिन नहीं मिला तो बागी हो गए। वर्तमान विधायक मनोज चावला के खिलाफ कांग्रेस के एक धड़े में जो असंतोष है उसे भूनाना चाहते हैं। आलोट में अब कोई आधार भी नहीं बचा है और शारीरिक रूप से भी फिट नहीं है फिर भी कांग्रेस को थोड़ा नुकसान पहुंचाएंगे।

जावद- पूरणमल अहीर

जनपद अध्यक्ष रह चुके हैं पत्नी भी राजनीति में सक्रिय है। जावद की राजनीति में इनकी पहचान मंत्री ओम प्रकाश सकलेचा के कट्टर‌ विरोधी के रूप में है।‌ इस बार यहां से टिकट के लिए इनका भी दावा था लेकिन पार्टी ने मौका नहीं दिया तो बागी हो गए। ग्रामीण क्षेत्र में मजबूत आधार है और युवाओं में भी लोकप्रिय है। भाजपा को नुकसान पहुंचाएंगे।

जावरा- जीवन सिंह शेरपुर

जावरा से कांग्रेस का टिकट चाहते थे। इनका कहना है कि पार्टी नेतृत्व से संकेत मिलने के बाद ही इन्होंने मैदान में तैयारी शुरू की थी। इस विधानसभा क्षेत्र में राजपूत समाज के मतदाताओं का अच्छा प्रभाव है और उसी का फायदा ले सकते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह सोलंकी के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं। करणी सेना के बड़े नेता हैं और आसपास के विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस के समीकरण को प्रभावित करेंगे।

झाबुआ- धन सिंह बरिया

झाबुआ नगर पालिका के अध्यक्ष रहे और इन दिनों भाजपा से निष्कासित हैं। झाबुआ शहर में इनका अच्छा प्रभाव है। भाजपा उम्मीदवार भानु भूरिया के कट्टर विरोधी हैं और उन्हें सीधा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है। यहां कांग्रेस के बागी जेवियर मेडा के मैदान से बाहर होने के कारण भाजपा पहले से ही दिक्कत में थी।

अलीराजपुर- सुरेंद्र सिंह ठकराल

अलीराजपुर जिला भाजपा के अध्यक्ष रहे वकील सिंह ठकराल के नजदीकी रिश्तेदार। भाजपा नेतृत्व ने इन्हें मैदान से हटाने के लिए काफी कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। नागर सिंह चौहान के घोर विरोधी हैं। सोंडवा क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। उनके मैदान में होने के कारण भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा।

इस लेख के लेखक इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी हैं।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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