कर्मचारी-पेंशनर्स के लिए महत्वपूर्ण अपडेट, नियम में महत्वपूर्ण संशोधन, पेंशन-ब्याज का इस तरह होगा भुगतान

Kashish Trivedi
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। दरअसल 6th-7th pay commission कर्मचारियों पेंशनर्स (Employees-pensioners) की पेंशन नियम में एक बार फिर से संशोधन किया गया है। इसके लिए विभाग द्वारा आदेश जारी किया गया। नवीन आदेश के तहत नियम में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जो कर्मचारी पेंशनर्स को जानना बेहद आवश्यक है। इसी नियम के तहत पेंशन का भुगतान कर्मचारियों को किया जाएगा।

CCS (पेंशन का संराशीकरण) नियम, 1981 के नियम 5 के अनुसार, एक सरकारी कर्मचारी अपनी पेंशन के 40 प्रतिशत से अनधिक राशि के एकमुश्त भुगतान के लिए आवागमन कर सकता है। ऐसे मामलों में जहां सरकारी कर्मचारी ने सेवानिवृत्ति से पहले पेंशन के कम्यूटेशन के लिए आवेदन किया है, पेंशन के कम्यूटेड मूल्य का भुगतान सेवानिवृत्ति के समय किया जाना है।

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अन्य मामलों में, पेंशन के कम्यूटेड मूल्य का भुगतान पूर्ण होने के बाद जल्द से जल्द किया जाना चाहिए, इस विभाग में स्पष्टीकरण मांगा गया है कि क्या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को ऐसे मामलों में ब्याज का भुगतान करने की आवश्यकता है। जहां पेंशन के कम्यूटेड मूल्य के भुगतान में देरी हो गई है।

यह स्पष्ट किया जाता है कि सीसीएस (पेंशन का कम्यूटेशन) नियम, 1981 के नियम 6 के अनुसार ऐसे मामलों में जहां पेंशन के कम्यूटेड मूल्य का भुगतान सेवानिवृत्ति के बाद किया जाता है, मासिक पेंशन से कम्यूटेड पेंशन की राशि में कटौती लागू हो जाती है। जिस तारीख से पेंशन के कम्यूटेड मूल्य का भुगतान किया जाता है।

सीसीएस (पेंशन का कम्यूटेशन) नियम के नियम 10 ए के अनुसार, पेंशन की कम्यूटेड राशि को नियम 6 के अनुसार कम्यूटेशन के कारण पेंशन में कमी होने की तारीख से पंद्रह साल पूरे होने पर बहाल किया जाता है। चूंकि पेंशनभोगी जारी है पेंशन के संराशीकृत मूल्य के भुगतान की तिथि तक पूर्ण पेंशन प्राप्त करने पर पेंशन के संराशीकरण के विलंबित भुगतान पर किसी ब्याज के भुगतान का प्रश्न ही नहीं उठता।

आदेश में कहा गया है कि स्पष्टीकरण को कड़ाई से कार्यान्वयन के लिए मंत्रालय/विभाग और उसके अधीन संबद्ध/अधीनस्थ कार्यालयों में पेंशन संबंधी लाभों से संबंधित कर्मियों के ध्यान में लाया जाए। इस मुद्दे पर अदालती मामलों में दायर किए जाने वाले उत्तरों में नियमों के उपरोक्त प्रावधानों को भी उपयुक्त रूप से शामिल किया जा सकता है।


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