रायपुर, डेस्क रिपोर्ट। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों (7th Pay Commission) का महंगाई भत्ता (DA) को 17% से बढ़ाकर 28% फीसदी करने के बाद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के साथ छत्तीसगढ़ में महंगाई भत्ते और एरियर की मांग जोरों शोरों से उठाई जा रही है। धरने और प्रदर्शन के बाद कर्मचारियों ने अब जल समाधि का ऐलान कर दिया है।
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दरअसल, छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन (Chhattisgarh Employees-Officers Federation) ने छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार (Chhattisgarh Government) को अल्टीमेटम दिया है। अनियमित कर्मचारियों ने जल समाधि लेने का ऐलान कर किया है।कर्मचारियों (Government Employee) का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार अगर 7 अगस्त की रात तक उनके पक्ष में कोई फैसला नहीं लेती तो वे जल समाधि ले लेंगे।
इस प्रदर्शन करने वालों में मंत्रालय, HOD बिल्डिंग, परिचारिका संघ, तृतीय और चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ शामिल हैं। केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता (DA) समेत नियमितीकरण इनकी 16 सूत्रीय मांगों में शामिल है।कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि विधानसभा चुनाव से पहले उनकी सभी यह मांगे सरकार के घोषणा पत्र में शामिल थीं, बावजूद इसके इतना समय बीत जाने के बावजूद वादाखिलाफी की जा रही है और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के करीब तीन लाख कर्मचारियों के लिए केंद्र के समान डीए (dearness allowance) बढ़ने का इंतजार लंबा होता नजर आ रहा है।
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प्रदेश के शासकीय सेवकों और पेंशनरों को 1 जुलाई 2019 से 1 जनवरी 2021 तक पिछले दो वर्षो से महंगाई भत्ता से वंचित रखा गया है। छत्तीसगढ़ राज्य के शासकीय सेवकों और पेंशनरों को 1 जनवरी 2019 से मात्र 12 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। राज्य के कर्मचारी केन्द्रीय कर्मचारियों से 16 प्रतिशत पीछे हो गए है, इस कारण प्रतिमाह के वेतन में 4-5 हजार रुपए आर्थिक क्षति हो रही है।
बता दे कि केंद्र सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Central Government Consumer Price Index) के आधार पर DA पुनरीक्षित करता है। इसके आधार पर राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों के डीए में वृद्धि करती है, लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों का डीए जनवरी 2019 के बाद से नहीं बढ़ा है। इससे कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। कर्मचारी नेताओं का दावा है कि सरकार की अनदेखी से प्रदेशभर के कर्मचारियों को लगभग 300 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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