इसके पहले के अपने फैसले में हाई कोर्ट में कहा था कि महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है। इसे रोका नहीं जा सकता। हाईकोर्ट ने केंद्रीय पैमाने के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों को 31 फ़ीसदी डीए देने का आदेश दिया था, इसके बाद इस फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने पुनर्विचार याचिका लगाई थी।
पिछली सुनवाई ममता सरकार दावा किया था कि राज्य सरकार पर सरकारी कर्मचारियों का कोई महंगाई भत्ता (डीए) बकाया नहीं है। बकाया डीएके भुगतान को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट की तरफ से जो फैसला सुनाया गया था, उस पर राज्य सरकार की ओर से पुनर्विचार करने का निवेदन किया गया है। वह मामला फिलहाल विचाराधीन है। डीए व दुर्गापूजा समितियों अनुदान अलग-अलग विषय हैं।दुर्गापूजा समितियों को सरकार की तरफ से दिए जा रहे 60-60 हजार रुपये के अनुदान के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिकाओं पर हलफनामा दाखिल कर यह दावा किया गया है।
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वही लगातार हो रही देरी के चलते अब सरकारी कर्मचारियों में भी आक्रोश बढने लगा है।कर्मचारियों का कहना है कि कोर्ट के बार-बार आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने भत्ता नहीं दिया है और हर बार पुनर्विचार याचिका लगाकर मामले को टालने की कोशिश की है। इसके पहले सुनवाई के दौरान उपरोक्त दोनों न्यायाधीशों की खंडपीठ ने मई महीने में ही तीन महीने के भीतर सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता देने का आदेश दिया था, लेकिन तय समय सीमा 19 अगस्त को पूरी हो गई है और लाभ नहीं दिया गया है। फिलहाल हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है और अब सबकी निगाहें अंतिम निर्णय पर टिकी है।