7th Pay Commission, 7th pay Salary Revision : कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट द्वारा महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कर्मचारी को सातवें वेतन संशोधन का ध्यान रखते हुए पे मैट्रिक्स लेवल अपनाकर वेतन को फिर से तय किया जाए। याचिकाकर्ता को पात्रता की तिथि से राशि की गणना करते हुए उन्हें 6% अतिरिक्त ब्याज के साथ भुगतान किया जाए।
तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम के सेवानिवृत्त अधीक्षक को राहत देते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। मदुरै के परिवहन निगम को सातवें वेतन संशोधन को ध्यान में रखते हुए 2.57 गुणक मैट्रिक्स अपनाकर वेतन को फिर से तय करने के निर्देश दिए।
फिटमेंट फैक्टर को 7वें वेतन आयोग के तहत 2.57 निर्धारित किया गया
फिटमेंट फैक्टर को सातवें वेतन आयोग के तहत 2.57 निर्धारित किया गया है। वहीं राज्य परिवहन निगम के कर्मचारी द्वारा 2020 में याचिका दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला दिया। 1980 में याचिकाकर्ता तत्कालीन पांडियन रोडवेज निगम के रूप में शामिल हुए थे। उन्हें 2017 में वरिष्ठ सहायक से अधीक्षक के पद पर पदोन्नति दी गई थी।
याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि समान पद पर कार्यरत कर्मचारियों को वर्तमान में सातवें वेतन पैटर्न के अनुसार 2.57 मेट्रिक निर्धारित किया गया था लेकिन याचिकाकर्ता के मामले में सरकारी आदेश के अनुसार उन्हें 2.44 मैट्रिक्स प्रदान किया जा रहा है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जी एस स्वामीनाथन ने डाली पर ध्यान देते हुए पाया कि परिवहन निगम में काम करने वाले कर्मचारी दो पैटर्न में एक में से आते हैं। औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 12(3) के तहत समझौते के दायरे में आने वाले श्रमिक और पर्यवेक्षक और प्रबंधकीय संपर्क के कर्मचारियों को सरकारी पैटर्न के अनुसार वेतन प्रदान किया जाता है।
2016 के वेतन समझौता की मौद्रिक लाभ से याचिकाकर्ता बाहर
अदालत ने याचिकाकर्ता की सुनवाई करते हुए पाया की याचिकाकर्ता को 2016 के वेतन समझौता की मौद्रिक लाभ की प्रायोजकता से बाहर रखा गया था। याचिकाकर्ता ने आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया था, वह 2019 में प्रबंधन से जवाब प्राप्त किया था। जिसमें कहा गया था कि समान रूप से कार्यरत कर्मचारियों को 2.57 गुना का लाभ दिया गया था। वहीं अदालत ने कहा कि सरकारी आदेश याचिकाकर्ता के मामले में लागू नहीं हुई थी।
अदालत ने इस मामले में अधिकारियों को सातवें वेतन संशोधन को ध्यान में रखते हुए 2.57 मैट्रिक्स को अपनाकर उनके वेतन फिर से तय करने के निर्देश दिया। अदालत ने निर्देश दिया है कि 3 सप्ताह में एक आदेश पारित किया जाए और मौद्रिक लाभ 6 सप्ताह में याचिकाकर्ता की पात्रता की तिथि से गणना किए जाने के साथ ही उसे 6% ब्याज के साथ उसका भुगतान किया जाए। वहीं अदालत के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता के वेतन में बड़ी वृद्धि रिकॉर्ड की जा सकती है।