गुरुवार सुबह अयोध्या राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन हो गया। उन्होंने लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में सुबह 8:00 बजे अंतिम सांस ली। लंबे समय से आचार्य सत्येंद्र दास जी बीमार थे। कुछ दिन पहले उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें एसजीपीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। जानकारी के मुताबिक, उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया था, जिससे उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी।
आचार्य सत्येंद्र दास जी की तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी। इसी कारण 4 फरवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनसे एसजीपीजीआई अस्पताल में मिलने पहुंचे थे। बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास जी को 2 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक आने के चलते अयोध्या के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन तबीयत ज्यादा बिगड़ जाने के चलते उन्हें लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल रेफर कर दिया गया।
![राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का हुआ निधन, लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में ली अंतिम सांसे](https://mpbreakingnews.in/wp-content/uploads/2025/02/mpbreaking56631506.jpg)
33 साल से वह रामलला मंदिर से जुड़े हुए थे
ब्रेन स्ट्रोक के अलावा आचार्य सत्येंद्र दास मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियों से भी जूझ रहे थे। बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी थे। उनका बचपन भी अयोध्या में ही बीता। लगभग 33 साल से वह रामलला मंदिर से जुड़े हुए थे। 1952 में बाबरी विध्वंस से पहले भी आचार्य सत्येंद्र दास रामलला के मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे, जिसके चलते वह मुख्य पुजारी बने। बाबरी विध्वंस से 9 महीने पहले ही आचार्य सत्येंद्र दास को पुजारी के तौर पर नियुक्त किया गया था।
शुरुआती समय में आचार्य सत्येंद्र दास को सिर्फ ₹100 मासिक मानदेय मिलता था
1975 में आचार्य सत्येंद्र दास ने संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद 1976 में अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में उन्हें व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी मिली। 1992 में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा विध्वंस होने के बाद तत्कालीन रिसीवर ने आचार्य सत्येंद्र दास को पुजारी के तौर पर नियुक्त किया था। हालांकि, शुरुआती समय में आचार्य सत्येंद्र दास को सिर्फ ₹100 मासिक मानदेय मिलता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसमें बढ़ोतरी कर दी गई। 2023 तक उन्हें ₹12,000 मासिक मानदेय दिया जा रहा था, लेकिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनका वेतन बढ़कर ₹38,500 कर दिया गया था।