Asian Games 2023: एशियन गेम्स में भारत का नया कीर्तिमान, 71 मेडल जीतकर बनाया रिकॉर्ड

Asian Games 2023: एशियन गेम्स चीन के हांगझाउ में खेला जा रहा है। जहां भारत ने इतिहास रच दिया है। भारत ने इस बार अब तक कुल 71 मेडल जीतकर अपना खुद का रिकॉर्ड तोड़ दिया। आपको बता दें साल 2018 में इण्डोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित एशियाई खेलों में कुल 70 मेडल से जीते थे। जिसे आज 4 अक्टूबर को तीरंदाजी के कंपाउंड मिक्स टीम कंपटीशन में  गोल्ड मेडल जीतकर तोड़ दिया है। वहीं अब भारतीय एथलीट्स से यह उम्मीद की जा रही है कि वे इस बार मेडलों का आंकड़ा 100 के पार पहुंचाएं।

आपको बता दें  भारत के पैदल चाल खिलाड़ियों में मंजू रानी और राम बाबू ने बुधवार को 35 किमी. मिक्स टीम कंपटीशन में कांस्य पदक जीता। जिसके बाद भारत ने 2018 एशियन गेम्स में जीते गये 70 मेडलों के आंकड़े की बराबरी की। वहीं ओजस देवताले और ज्योति सुरेखा वेन्नम की कंपाउंड मिक्स तीरंदाजी टीम ने गोल्ड मेडल जीता। जिसके बाद भारत के हिस्से में 71 मेंडल हो गये।

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मेडलों का आंकड़ा 100 पार होने की उम्मीद

भारत के एथलीट्स से इस बात की उम्मीद की जा रही है कि मेडलों का आंकड़ा 100 के पार पहुंचे। क्योंकि अभी कई टीम और व्यक्तिगत खेल बचे हैं। बता दें अभी जेवलिन में नीरज चोपड़ा बॉक्सिंग में लवलीना बोरगेहन से मेडल की उम्मीद जताई जा रही है। इसके साथ ही पुरुष और महिला हॉकी, कुश्ती, बैडमिंटन जैसे कई गेम्स बाकी हैं जिसमें भारत को मेडल मिलने की पूरी उम्मीद है।

एशियन गेम्स 2023 में अब तक भारत के मेडल

गोल्ड    16 मेडल
सिल्वर  26 मेडल
ब्रॉन्ज़    29 मेडल
कुल     71 मेडल

एशियन गेम्स 2018 में भारत के कुल मेडल

गोल्ड    16 मेडल
सिल्वर  23 मेडल
ब्रॉन्ज़   31 मेडल
कुल     70 मेडल

1951 में भारत ने जीते थे 51 मेडल

गौरतलब है कि भारत ने 1951 के पहले एशियाई गेम्स में कुल 51 मेडल जीता था। जिसमें भारत के हिस्से में 15 गोल्ड मेडल आए थे।

 


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Shashank Baranwal

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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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