बराक ओबामा ने अपनी किताब में Rahul Gandhi को बताया नर्वस नेता, बीजेपी ने ली चुटकी

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अमेरिका के पूर्व और कूल राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barak Obama) द्वारा एक नया राजनीतिक संस्मरण (Political memoir)  प्रकाशित किया गया है, जिसका नाम “ए प्रॉमिस लैंड (A Promise land)”। बराक ओबामा (Barak Obama) के प्रकाशित किए गए राजनीतिक संस्मरण भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है क्योकिं उन्होंने अपनी आत्मकथा में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को नर्वस नेता (Nervous leader) बताया है। उन्होंने लिखा है कि राहुल गांधी एक ऐसा छात्र है, जिन्होंने कोर्सवर्क (Coursework) किया है और शिक्षक को प्रभावित करने के लिए उत्सुक भी है, लेकिन उनमें विषय को लेकर योग्यता की कमी है।

वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के बारे में भी बराक ओबामा ने अपने संस्मरण में लिखा है। ओबामा ने लिखा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह एक अलग तरह की अगाध अखंडता रखते है, वो एक भावहीन, शांत किस्म और अगाध निष्ठा वाले नेता है। ओबामा ने पूर्व पीएम सिंह और पूर्व अमेरिकी रक्षा सचिव बॉब गेट्स दोनों को ही एक तरह की आवेगपूर्ण अखंडता रखने वाला बताया।

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बता दें कि 2017 में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने ओबामा से मुलाकात की थी। मुलाकात के बात राहुल गांधी ने ओबामा के साथ एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की थी , जिसमें उन्होंने लिखा था कि ओबामा के साथ उनकी मीटिंग बहुत ही फलदायी थी, वो दोबारा उनसे मिलने के इच्छुक है।

वहीं राहुल गांधी को नर्वस कहने के बाद बीजेपी भी चुटकी लेने से नहीं चूक रही है। बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि ओबामा जैसे इतने बड़े व्यक्ति ने राहुल गांधी के इंटेलिजेंस के बारे में इतना सब कह दिया है तो अब कुछ और कहने के लिए बचा ही नहीं। राहुल गांधी को अब पता होना चाहिए कि भारत में उन्हें जो सम्मान मिल रहा था, वह वैश्विक हो गया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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