Gujarat Tourism: घूमने फिरने की दृष्टि से गुजरात एक बहुत अच्छी जगह है। अगर आप गुजरात घूमने गए हैं और आपने कच्छ (Kutch) की खूबसूरती नहीं देखी तो आपकी यात्रा अधूरी रह गई है। एक समय भूकंप में पूरी तरीके से बर्बाद हो चुकी ये जगह आज पर्यटकों को सबसे ज्यादा अपनी और आकर्षित करती है। यहां सरकार की ओर से हर साल कच्छ महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें लोगों की भीड़ उमड़ती है।
कच्छ गुजरात का सबसे बड़ा जिला है जिसका मुख्यालय भुज में है। इसका अधिकांश हिस्सा रेतीला है और यहां पर कई ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर और हिल स्टेशन स्थित हैं जो सैलानियों को आकर्षित करते हैं। आज हम आपको इस खूबसूरत जगह की कुछ खास बातों से रूबरू करवाते हैं।
ऐसा है Kutch का इतिहास
ये जगह प्राचीन सिंधु संस्कृति का हिस्सा है। 1270 में एक स्वतंत्र देश के रूप में खड़ा हुआ था लेकिन 1815 में ब्रिटिश सरकार ने इस पर अपना कब्जा जमा लिया। रजवाड़ा के रूप में कच्छ की सत्ता संभाल रहे राजा ने ब्रिटिश हुकूमत को अपना लिया था। 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद कच्छ महागुजरात का एक जिला बनकर उभरा। ये यात्रा यहीं पर खत्म नहीं हुई 1950 में यह महा गुजरात से अलग हुआ और एक राज्य बना। 1956 में यह मुंबई राज्य के अंतर्गत आया लेकिन इसके बाद जब 1960 में भाषा के आधार पर मुंबई और गुजरात का विभाजन किया गया तब कच्छ गुजरात की सीमा में शामिल हुआ।
कच्छ में घूमने-फिरने की दृष्टि से कई सारे स्थान मौजूद है। यहां का सफेद रण हमेशा ही पर्यटकों के मन को लुभाता है। जखाऊ, कांडला और मुंद्रा यहां के प्रमुख बंदरगाह भी है। मांडवी का समुद्र तट भी बहुत ही सुंदर और आकर्षक है। भुज में मौजूद आइना महल, प्राग महल और अन्य ऐतिहासिक धरोहर है पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती है। हिंदुओं के अति प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थलों में शुमार नारायण सरोवर भी यहां पर स्थित है, जिसे सबसे पवित्र तालाबों में गिना जाता है। इसके अलावा यहां भगवान के कई आकर्षक मंदिर है।
Gujarat Tourism में घूमें ये जगह
धौलावीरा
भुज से ढाई सौ किलोमीटर दूर इस जगह पर हड़प्पा संस्कृति के उदय के कई नमूने देखने को मिलते हैं। 2500 ईसा पूर्व से 2900 ईसा पूर्व तक इस संस्कृति का उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी सभ्यता के बहुत से अवशेष यहां पर मौजूद है जिनकी देखरेख पुरातत्व विभाग की ओर से की जाती है।
मांडवी बीच
मांडवी गुजरात के सबसे आकर्षक बीच में से एक है। दूर दूर तक फैला नीला पानी और रेत पर्यटकों को अलग ही अनुभव का एहसास कराते हैं। सनराइज और सनसेट का नजारा यहां से बहुत खूबसूरत दिखाई पड़ता है। इस समुद्र तट पर कई तरह के पक्षी भी नजर आते हैं।
नारायण सरोवर मंदिर
भगवान विष्णु के नाम से प्रसिद्ध इस जगह पर पांच झील बनी हुई है। यह सभी सबसे पवित्र और प्राचीन तीर्थ स्थलों में शुमार है। भारत के सबसे पवित्र तालाबों में इनकी गिनती की जाती है। यहां पर लक्ष्मीनारायण, गोवर्धननाथजी, द्वारकानाथ, त्रिकमरायजी, रणछोड़रायजी, आदिनारायण और लक्ष्मी जी के आकर्षक मंदिर भी बने हुए हैं।
मांडवी बंदरगाह
लेखक मिलबर्न के मुताबिक मांडवी कच्छ के सबसे महान बंदरगाहों में से एक है। महाराज खेनगरजी प्रथम द्वारा विकसित किए गए इस बंदरगाह पर पानी के कई जहाज देखने को मिलते हैं।
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कांडला बंदरगाह
देश के 11 सबसे प्रमुख बंदरगाहों में कांडला नदी पर बसा यह बंदरगाह शामिल है। ब्रिटिश सरकार और महाराज खेनगरजी तृतीय ने इसे विकसित किया था।
ऐसे पहुंचे kutch
अगर आप विमान की सहायता से यहां पहुंच सकते हैं तो भुज विमानक्षेत्र और कांदला विमानक्षेत्र यहां के दो प्रमुख एयरपोर्ट है। भुज और गांधीधाम रेलवे स्टेशन भी यहां से नजदीक है और ट्रेन से यात्रा करने वाले पर्यटक यहां से आ सकते हैं। कच्छ विभिन्न सड़क मार्गों से भी जुड़ा हुआ है और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।