नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। केन्द्र सरकार ने लापता कर्मचारियों को मिलने वाली पारिवारिक पेंशन को लेकर बड़ा ऐलान किया है। केंद्र की मोदी सरकार ने विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर, नार्थ ईस्ट के साथ-साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेवारत सरकारी कर्मचारियों के लिए पारिवारिक पेंशन में बड़ी राहत में देते हुए नियमों में ढील दी है।
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कार्मिक मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, पहले परिवार पेंशन का भुगतान इन कर्मचारियों को तब किया जाता था जब उन्हें कानून के अनुसार मृत घोषित किया जाता या उसके लापता होने के 7 साल बीत जाते। लेकिन अब केन्द्र ने पारिवारिक पेंशन के नियमों में बदलाव किया है।इसके तहत पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के आदेश का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि इससे बड़ी राहत मिलेगी, खासकर उन क्षेत्रों में जहां सरकारी कर्मचारियों के लापता होने की घटनाएं अधिक होती हैं।
सोमवार को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी है।इसके तहत उन सभी मामलों में जहां राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत सरकारी कर्मचारी सेवा के दौरान लापता हो जाता है, उसे परिवार पेंशन का लाभ तुरंत परिवार को दिया जाएगा ।वही यदि कर्मचारी दोबारा से आता है और सेवा शुरू करता है, तो पारिवारिक पेंशन के रूप में भुगतान की गई राशि उसके लापता होने की अवधि के बीच के समय में उसके वेतन से काटी जा सकती है।
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मंत्री ने बताया कि दिनांक 25.06.2013 को जारी निर्देशों के तहत सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के तहत कवर किया गया कोई सरकारी कर्मचारी लापता हो जाता है, तो लापता कर्मचारियों के परिवारों को वेतन, पारिवारिक पेंशन, सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी, छुट्टी का पैसा आदि के बकाया का लाभ दिया जाता है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, वित्तीय सेवा विभाग और व्यय विभाग के परामर्श से मामले की जांच की गई है और फिर नियमों में ढील देने का निर्णय लिया।
आदेश के अन्य प्रावधानों में कहा गया है कि सभी मामलों में जहां एनपीएस द्वारा कवर किया गया कोई सरकारी कर्मचारी सेवा के दौरान लापता हो जाता है, परिवार पेंशन के लाभों का भुगतान परिवार को किया जा सकता है। यदि लापता सरकारी कर्मचारी ने सीसीएस (पेंशन) नियमों के तहत लाभ के विकल्प का इस्तेमाल किया हो। मृत्यु या सेवा से छुट्टी पर विकलांगता/अमान्यता या सीसीएस (पेंशन) नियमों के तहत लाभ केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का कार्यान्वयन) नियम, 2021 के तहत डिफाल्ट विकल्प है।