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Sun, Dec 21, 2025

Bihar Reservation: नीतीश सरकार को बड़ा झटका, HC ने रद्द किया 65% आरक्षण कानून, बताया असंवैधानिक, पढ़ें पूरी खबर 

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चीफ जस्टिस के.चन्द्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गौरव कुमार और अन्य याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है।  65% आरक्षण कानून को रद्द करने का निर्णय लिया गया है।
Bihar Reservation: नीतीश सरकार को बड़ा झटका, HC ने रद्द किया 65% आरक्षण कानून, बताया असंवैधानिक, पढ़ें पूरी खबर 

Bihar Reservation: बिहार में जातीय जनगणना के बाद नीतीश कुमार की सरकार ने नौकरी और शिक्षा में आरक्षण को बढ़ाने का कानून बनाया था। लेकिन गुरुवार को पटना हाई कोर्ट ने इस फैसले को असंवैधानिक करार दिया है। 65% आरक्षण प्रदान करने वाले कानून को रद्द कर दिया है। चीफ जस्टिस के.चन्द्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गौरव कुमार और अन्य याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है।

कोर्ट में क्या हुआ?

याचिककर्ताओं की ओर से कोर्ट में अधिवक्ता दीनू कुमार ने दलील दी है। उन्होनें सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10% आरक्षण रद्द करने के फैसले को संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 (6) (बी) का उल्लंघन बताया। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होनें कहा, “आरक्षण का यह निर्णय जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के आनुपातिक आधार पर लिया गया था। न कि सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधितत्व के आधार पर।’ उन्होनें इंदिरा स्वाहनी मामले में आरक्षण की सीमा पर 50% का प्रतिबंध लगने की बात भी खंडपीठ के सामने रखी।

  11 मार्च को सुरक्षित हुआ था फैसला

चीफ जस्टिस के.चन्द्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार के पीठ और याचिककर्ताओं की लंबी सुनवाई चली। जिसके बाद 11 मार्च को ही फैसला सुरक्षित कर लिया था। 20 जून को 50% की सीमा को 65% करने वाले कानून को असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट ने रद्द करने का फैसला सुनाया है।

सरकारी नौकरियों में 75% आरक्षण

बता दें कि बिहार ने आरक्षण संशोधन बिल के जरिए आरक्षण के सीमा को बढ़ाकर 65% कर दिया था। अनुसचित जाति के आरक्षण को 16% से बढ़ाकर 26% कर दिया था। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को 1% से बढ़ाकर 2% और पिछला वर्ग को मिलने वाले 12% आरक्षण को 18% कर दिया था। वहीं अति पिछड़ा वर्ग के 18% आरक्षण को बढ़ाकर 25% कर दिया गया था। इस हिसाब से सरकारी नौकरियों कुल 75% आरक्षण की घोषणा सरकार ने की थी।