नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने मोदी सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग को मेडीकल में दिए आरक्षण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर लोकसभा व राज्यसभा में चर्चा न कराने को लोकतंत्र की रुग्णता बताया है। सोलंकी ने ट्वीट करते हुए अपनी बात कही है।
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कप्तान सिंह सोलंकी ने अपने पहले ट्वीट में कहा है कि “केन्द्र की Neet परीक्षा में २७+१०+१५+७.५ को उच्चतम न्यायालय मानेगा क्या? यह ५०% से ज़्यादा हो रहा है ,साथ ही मेरिट कोकमतर आँकना quality को कम करना है। वहीं दूसरे ट्वीट में वो कहते हैं “लोकसभा और राज्यसभा में बिना चर्चा किये विधेयक पास होना लोकतंत्र की रुग्णता का परिचायक है। सांसदों के महत्वपूर्ण सुझाओं से देश वंचित रह जायेगा। जनमत की इज्जत करें।” इसी के साथ उन्होने कहा है कि जब दिल्ली हाई कोर्ट कह रही है कि देश जाति और धर्म से ऊपर उठ रहा है, अब uniform civil code लागू करने की ज़रूरत है, तब जाति आधारित जन गणना की मांग देश को पीछे ले जाने की कवायद मानी जाएगी। उन्होने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू होना चाहिये। आज का हिंदुस्तान धर्म जाति समुदाय से ऊपर उठ चुका है “संविधान की धारा ४४ की मंशा को हक़ीक़त में बदलना चाहिये। इस तरह कप्तान सिंह सोलंकी ने आरक्षण को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
केन्द्र की Neet परीक्षा में २७+१०+१५+७.५कोउच्चतम न्यायालय मानेगा क्या?यह ५०%से ज़्यादा होरहा है ,साथ ही मेरिट कोकमतर आँकना quality को कम करना है।
— Kaptan Singh Solanki (@kaptansinghso12) July 30, 2021
लोक सभा और राज्यसभा में बिना चर्चा किये बिधेयक पास होना लोकतंत्र की रुग्णता का परिचायक है ।सांसदों के महत्वपूर्ण सुझाओं से देश बंचित रह जायेगा।जनमत की इज़्ज़त करें।
— Kaptan Singh Solanki (@kaptansinghso12) July 30, 2021