Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर उतरने का हर भारतीय बेसब्री से इंतजार कर रहा है। ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व की नजर इस मिशन पर टिकी हुई है। चांद पर भेजा गया विक्रम लैंडर अब अपने लक्ष्य से ज्यादा दूर नहीं है। लैंडिंग करने में इसका सफर सिर्फ 25 किलोमीटर दूर रह गया है।
डिबूस्टिंग ऑपरेशन के जरिए जब विक्रम लैंडर की रफ्तार कम हुई तो ऑर्बिट भी कम हो गया और अब विक्रम लैंडर और चांद की सतह के बीच सिर्फ 25 किलोमीटर की दूरी बची है और 23 अगस्त को ये लैंड करेगा। हालांकि, इस लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर को प्रशिक्षण से गुजरना होगा साथ ही साथ लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय होने का इंतजार भी करना पड़ेगा।
आखिरी डिबूस्टिंग में कम हुई रफ्तार
चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए विक्रम लैंडर की स्पीड कम होना जरूरी है। इस मिशन में सबसे मुश्किल प्रक्रिया यही है, जिसे सबसे पहले 18 अगस्त को किया गया था। इस प्रक्रिया में विक्रम लैंडर और चांद की दूरी 113 किलोमीटर 157 किमी थी।
रविवार को आखरी डिबूस्टिंग की प्रक्रिया सफल रही है और इसके बाद ऑर्बिट 25 किलोमीटर 134 किलोमीटर रह गया है। 23 अगस्त को लैंडर, चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा। ये प्रक्रिया भारतीय समय के मुताबिक शाम 5:45 मिनट पर शुरू होने की संभावना है।
दक्षिणी ध्रुव पर होगा लैंड
विक्रम लैंडर इस समय चांद के ऐसे ऑर्बिट में मौजूद है जहां से निकटतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर है। इसी जगह से यह 23 अगस्त को लैंड करने का प्रयास करने वाला है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक कोई मिशन नहीं गया है, यही वजह है कि इसरो ने इस जगह को चुना है।
बता दें कि विक्रम लैंडर स्वचालित मोड में चल रहा है और यह खुद फैसला ले रहा है कि इसे आगे की प्रक्रिया को कैसे अंजाम देना है। चांद की सतह पर अगर यह लैंडिंग अच्छी तरह से हो जाती है तो ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा, साथ ही दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला पहला देश होने का खिताब भी भारत को मिलेगा।