छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खाए कोड़े, देखें वीडियो

Gaurav Sharma
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छत्तीसगढ़, डेस्क रिपोर्ट । पूरे देश में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। हर साल की तरह इस साल भी आज गोवर्धन पूजा (Gowardhan worship) धूमधाम से मनाई जा रही है। गोवर्धन पूजा पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) हर साल दुर्ग जिले के जंजगिरी और कुम्हारी जाते है। जहां सीएम भूपेश बघेल सभी की खुशी और मंगलकामना के लिए सांटे (कोड़ा) का मार झेलते है। जो सालों की परंपरा है। जिसे निभाते हुए मुख्यमंत्री हर साल सभी की खुशहाली के लिए कोड़े का प्रहार झेलते है।

हर साल इस परंपरा के अनुसार गांव के बुजुर्ग भरोसा ठाकुर ही सांटे से मारने का काम करते थे, लेकिन इस साल उनका निधन होने पर परंपरा को निभाते हुए उनके बेटे बीरेंद्र ठाकुर ने सांटे से प्रहार करने का काम किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जंजगिरी और कुम्हारी पहुंचकर सबकी मंगलकामना करते हुए सभी की रक्षा के लिए सांटे से प्रहार झेलने की परंपरा निभाई।

 

इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस परंपरा को सबकी खुशहाली के लिए मनाई जाती है। वहीं सीएम बघेल ने भरोसा ठाकुर के देहांत पर दुख जताया और कहा कि इस बात की खुशी है कि उनके बेटे द्वारा इस परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है।

सांटा (कोड़े) प्रहार परंपरा

अगर बात करें सांटा (कोड़े) प्रहार कि तो ये हर साल छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मनाई जाती है। जिसका उद्देश्य सबकी सुख-शांति और समृद्धि होती है। इसे गोवर्धन पूजा के दिन हाथों में सांटा मार कर मनाया जाता है। सांटा प्रहार की परंपरा में शामिल होकर सीएम बघेल ने खुशी जताई साथ ही ग्रामीणों गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं भी दी।

वहीं मुख्यमंत्री बघेल ने इस बार कोरोनाकाल के चलते सभी से अपील की, कि वे हमेशा मास्क पहनें रहे और बार-बार अपना हाथ साबुने से धोते रहे, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य रूप से करें। इस दौरान उन्होंने कुम्हारी में प्रदेशवासियों के लिए मंगलकामना करते हुए गौरी-गौरा की पूजा में शामिल हुए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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