नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश चीन कभी अपनी बढ़ती जनसंख्या (China population) को लेकर परेशान था। जनसंख्या नियंत्रण के लिए किए गए उपाय अब चीन के गले की हड्डी बन चुके हैं। आलम यह है कि चीन (China) पिछले कई साल से अपनी जनसंख्या (Population) बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए उसने पिछले साल अपनी 2 बच्चा पैदा करने की कड़ी नीति को सिरे से निरस्त कर दिया है। लेकिन बरसों से सरकारी पाबंदियां झेल रहे लोगों की मानसिकता फिलहाल बदलने वाली नहीं है। चीन को इन उपायों से अभी तक कोई खास फायदा नहीं हुआ है। हर साल करोड़ों की संख्या में आबादी बढ़ाने वाला चीन 2021 में केवल 4.80 लाख आबादी बढ़ा सका।
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लोगो को तीन बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित करने के लिए माता-पिता को अधिक छुट्टी देना, मातृत्व अवकाश, विवाह के लिए छुट्टी और पितृत्व अवकाश बढ़ाना जैसे उपाय चीन ने किए हैं। साल 2021 के अंत में चीन की कुल जनसंख्या 1.4126 अरब थी और लगातार पांचवें साल चीन की जनसंख्या जन्म दर (Birth Rate) घटी हुई दर्ज की गई है।
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जनसंख्या के घटने का चीन पर असर –
चीन की आबादी में बूढ़े यानी बुर्जगों की संख्या बढ़ रही है।
जन्म दर घटने से युवाओं की जनसंख्या घट रही है।
चीन की जनसांख्यिकी और आर्थिक हालात दोनों इसके चलते खतरे में पड़ सकते हैं।
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2020 में चीन की आबादी 1.4120 अरब थी, जो 2021 में बढ़कर 1.4126 अरब हो गई।
2021 में चीन में 1.06 करोड़ बच्चों ने जन्म लिया जो 2020 के 1.20 करोड़ के मुकाबले कम था।
हेनान प्रांत में नवजात शिशुओं की संख्या 2020 में गिरकर 9,20,000 रही जो 2019 की तुलना में 23.3 प्रतिशत कम हैं।हैनान चीन का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र है, वहां जन्म दर प्रति 1,000 लोगों पर घटकर 9.24 रह गई।
बूढ़ी होती आबादी आर्थिक वृद्धि के लिए खतरा साबित हो सकती है। फैक्ट्रियों और ऑफिसों में काम करने वाले कुशल कर्मचारियों और मजदूरों की समस्या हो सकती है।
आश्रित व्यक्तियों (पेंशन और अन्य लाभों के साथ रिटायर) की संख्या बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर असर होगा।