नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश के कई हिस्सों में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension scheme) की मांग शुरू हो गई है। शासकीय कर्मचारी (Government employees) इस योजना की मांग लगातार कर रहे हैं। वहीं राजस्थान सरकार (rajasthan government) की पुरानी पेंशन योजना लागू करने के बाद पड़ोसी राज्य में भी इसकी मांग को तीव्र देखा जा रहा है। हालांकि इससे पहले बजट सत्र (Budget session) के दौरान झारखंड सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना के विषय में प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद बड़ी बात कही गई थी।
जिस पर अब CM का बड़ा बयान सामने आया है। दरअसल सीएम हेमंत सोरेन का कहना है कि प्रदेश में फिलहाल पुरानी पेंशन योजना को लेकर कोई भी कार्य विधि संचालित नहीं की जा रही है। प्रतिनिधिमंडल की मांग पर विचार किया जा रहा है। इस मामले में बाद में फैसला लिया जा सकते हैं। जिसके बाद यह तो स्पष्ट है कि फिलहाल झारखंड में पुरानी पेंशन योजना लागू करने को लेकर सरकार ऐसी किसी तैयारी में नहीं है।

वही राजस्थान झारखंड के बाद हरियाणा में भी पुरानी पेंसन योजना की मांग को लेकर लामबंद हो रहे हैं। हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारी के पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की किसी भी योजना को सिरे से खारिज कर दिया गया है। राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का कार्य कर रही है। इस मामले में सीएम मनोहर खट्टर ने कहा कि हरियाणा सरकार कर्मचारियों को वेतन सभी सभी सुविधा उपलब्ध करा रही है और हरियाणा में ऐसा कोई मुद्दा नहीं है हरियाणा के शासकीय कर्मचारी खुश हैं और पुरानी पेंशन योजना पर फिलहाल कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ से MP में भी पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग तेज हो गई है। दरअसल 2004 के बाद से शासकीय कर्मचारी के पेंशन सिस्टम में हुए बदलाव के बाद में पेंशन सिस्टम लागू किए गए थे। जिसके बाद मध्य प्रदेश के शासकीय कर्मचारी लगातार पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग कर रहे हैं। शासकीय कर्मचारी की तादाद सवा 3 लाख के आसपास है।
वहीं मध्यप्रदेश में अब तक 100 से अधिक नेता और मंत्री द्वारा कर्मचारियों के पुराने पेंशन योजना की मांग की जा चुकी है। इसके अलावा शासकीय कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की बात कह रहे हैं। इस मामले में मध्यप्रदेश में एक बड़ा आंदोलन आयोजित किया जायेगा। मध्य प्रदेश के पिछले बजट सत्र में भी पुरानी पेंशन योजनाओं को लागू करने का मुद्दा उठाया गया था लेकिन उस दौरान 2005 से नियुक्त हुए शासकीय कर्मचारी के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का कोई प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया था। वहीं MP में एक बार फिर से 7 मार्च से बजट का सत्र शुरू होना है।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ में भी पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग देखी जा रही है। हालांकि राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना लागू करने की पहल करने के बाद अब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार से भी लोगों को काफी उम्मीद है। इस मामले में सीएम भूपेश बघेल का बड़ा बयान सामने आया है। दरअसल बीते दिनों उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई की सरकार द्वारा इसे बंद किया गया था लेकिन अब इसकी मांग की जा रही है। शासकीय कर्मचारियों की मांग पर विचार किया जाएगा। वित्तीय स्थिति का अध्ययन करने के बाद यदि संभव हो पाएगा तो हम इस मामले में आगे बढ़ेंगे।
ज्ञात हो कि अटल बिहारी वाजपेई की सरकार द्वारा 1 नवंबर 2004 से पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था। जिसके बाद इस पेंशन योजना को बंद करने से शासकीय कर्मचारी लगातार इसके विरोध में थे। वहीं नई पेंशन योजना लागू होने के बाद हर महीने कर्मचारियों को एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। जिसके बाद रिटायर होने पर कुल रकम का 60 फीसद एकमुश्त राशि कर्मचारियों को उपलब्ध कराया जाता है जबकि 40 फीसद रकम बीमा कंपनियों का एन्युटी खरीदना होता है। जिस पर मिलने वाले ब्याज की राशि हर महीने कर्मचारियों को पेंशन के रूप में दी जाती है।
जबकि पुरानी पेंशन योजना कहते हैं शासन के कर्मचारियों को नौकरी से रिटायर के अंतिम महीने में कितनी सैलरी मिलती है। उसका 50% हिस्सा रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में उपलब्ध कराया जाता है। कर्मचारी की मौत होने पर भी उनके परिवार को पेंशन उपलब्ध होते हैं। जिसको कर्मचारी सुरक्षा कवच मानते हैं और इस प्रकार से वह लगातार पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं।