पुलिस की सराहनीय पहल, Sex Workers को बना रही आत्मनिर्भर

Gaurav Sharma
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दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में पुलिस द्वारा एक नई पहल शुरु की गई है। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण और सेंट्रल जिला पुलिस द्वारा शुरु की गई पहल में दिल्ली के सेक्स वर्कर्स (Sex Workers) को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। पहल के तहत सेक्स वर्कर्स(Sex Workers) को दीये सजाने का काम सिखाया जा रहा है। पुलिस द्वारा शुरु की गई पहल का ही असर है जो सेक्स वर्कर्स (Sex Workers) खुद का कुछ काम शुरु कर के इस गंदगी से बाहर निकलना चाह रही है।

वहीं पुलिस द्वारा शुरु की गई पहल को लेकर डीसीपी संजय भाटिया का कहना है कि दिल्ली (Delhi) के कमला मार्केट के जीबी रोड़ पर लगभग 30 से ज्यादा कोठे हैं। इन कोठों में करीब 2 हजार से ज्यादा सेक्स वर्कर्स (Sex Workers) देह व्यापार की गंदगी में फंस गई है। ये सेक्स वर्कर्स (Sex Workers) इस गंदगी को छोड़ कर अपना खुद का कुछ काम कर के सम्मानपूर्वक जिंदगी जीना चाहती है।इसी को देखते हुए इस पहल की शुरुआत की गई है, जिसमें इन सेक्स वर्कर्स (Sex Workers) को दीये सजाने का काम सिखाया जा रहा है।इस पहल में अब तक 200 से ज्यादा महिलाएं जुड़ चुकी हैं।

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आगे डीसीपी संजय भाटिया बताते है कि दिल्ली के कमला मार्केट की पुलिस इस सेक्स वर्कर्स (Sex Workers) द्वारा सजाएं जा रहे दीयों की खरीदार खुद करेगी। साथ ही इन समान को अलग-अलग एनजीओं और लोगों की मदद से दिल्ली के विभिन्न बाजारों में बचा जाएगा। डीसीपी के मुताबिक इस पहल के जरिए ना केवल सेक्स वर्कर्स को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि गंद से भरे देह व्यापार को छोड़ कर अपना खुद का कोई काम शुरु कर सकेंगी और आत्मनिर्भर बनेंगी।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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