मुंबई, डेस्क रिपोर्ट। महाराष्ट्र में अचानक से सियासत को लेकर बढ़े तनाव ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के माथे पर भी लकीरें खींच दी है। प्रदेश में शिवसेना नेता एवं प्रदेश के शहरी विकास और लोक निर्माण मंत्री एकनाथ शिंदे के द्वारा बगावती तेवर दिखाने के बाद उद्धव ठाकरे के सामने अपनी कुर्सी बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। जानकारी के अनुसार, शिंदे 20 विधायकों के साथ सूरत के एक होटल में ठहरे हुए है, जिसमें शिवेसना और उद्धव सरकार का समर्थन करने वाले कई निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं।
लेकिन इस बीच बगावत के बाद एकनाथ शिंदे का पहला बयान आया है। जहां, उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ” हम बालासाहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं। बालेसाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है। हम सत्ता के लिए कभी भी धोखा नहीं देंगे। बालासाहेब के विचारों और धर्मवीर आनंद साहेब ने हमें धोखा देना नही सिखाया है।”
उनका यह बयान किस तरफ इशारा कर रहा है, इसका पता तो थोड़ी देर से चल ही जाएगा, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ ये मान कर चल रहे है कि पार्टी में शायद सुलह की कोशिशें तेज हो गई है।
वहीं इस दौरान एकनाथ शिंदे के व्यवहार पर कड़ी कार्रवाई करते हुए शिवसेना ने उन्हें विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है।
पार्टी का यह आतंरिक मामला …
इससे पहले एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने मामले पर अपनी बात रखने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ” महाराष्ट्र में तीसरी बार ऐसा हो रहा है। एनसीपी का कोई विधायक इधर से उधर नहीं गया है।”
मामले से दूरी बनाते हुए उन्होंने आगे कहा कि यह शिवसेना का आंतरिक मामला है। सरकार गिरने के बारे में सवाल पूछने पर पवार ने कहा कि सरकार बचाने का कोई ना कोई विकल्प निकल जाएगा।
पवार ने साफ किया कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना तीनों ही साथ हैं। उक्त मामले पर आज चर्चा की जाएगी।
आपको बता दे, एमवीए सरकार को तब तक कोई खतरा नहीं हैं जब तक समर्थित दल कांग्रेस और एनसीपी के कुछ विधायक बीजेपी को समर्थन ना दें। मामले की गंभीरता को देखते हुए कांग्रेस ने कमलनाथ को विधायकों की जिम्मेदारी सौंपी हैं।