नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। धान सम्पूर्ण विश्व में पैदा होने वाली प्रमुख फसलों में से एक है। प्रमुख खाद्यान्न चावल इसी से प्राप्त होता है। धान भारत सहित, एशिया और विश्व के अधिकांश देशों का मुख्य खाद्य है। अभी हाल ही में धान की बेहतरीन किस्मों में से एक का नाम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर रखा हैं।
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हम आपको बता दें कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा का जन्म कृषि परिवार में हुआ था। इसलिए उन्होंने किसान के जीवन की कठिनाइयां को अच्छे से महसूस किया हैं। वह हमेशा से किसानों, वंचित और शोषित वर्ग के लोगों को उनका अधिकार दिलाने के लिए आवाज उठाते रहे। उनकी प्रतिबद्धता को देखते हुए पंजाब के किसानों ने उनके नाम पर धान की बेहतरीन किस्मों में से एक का नाम रखा। उन पर लिखी एक पुस्तक में यह बात कही गई है।

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हम आपको बता दें कि पत्रकार सुगाता श्रीनिवासराजू ने अपनी पुस्तक “Furrows in a Field: The Unexplored Life of H D Deve Gowda” में लिखा, ‘‘गौड़ा को एक एमएलए और एमपी के रूप में सदन की मर्यादा का कभी भी उल्लंघन नहीं करने के लिए भी जाना जाता है। लेकिन अपने लंबे करियर में केवल एक बार उन्होंने खुद पर लागू किये गए इस सिद्धांत का उल्लंघन किया, और यह तब था जब उन्हें किसानों की भलाई को को लेकर ‘खतरा’ महसूस हुआ था।’’
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लोकसभा में 31 जुलाई और 1 अगस्त, 1991 की घटनाओं का जिक्र करते हुए, पुस्तक याद करती है कि कैसे मनमोहन सिंह के पहले बजट पर एक गर्म चर्चा के दौरान, गौड़ा सरकार पर सब्सिडी समाप्त करने के अपने फैसले को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए सदन के वेल में पहुंचे थे। तीन साल से अधिक की अवधि के लिए कृषि क्षेत्र। “मैं एक किसान और एक किसान का बेटा हूं और मैं इसकी अनुमति नहीं दूंगा। मैं धरने पर बैठूंगा। मैं इस घर से बाहर नहीं जाऊंगा। यह प्रचार के लिए नहीं है कि मैं यह कर रहा हूं।”
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पुस्तक में आगे जिक्र किया गया है कि साल 2002 में, जब पूरे भारत से बड़ी संख्या में किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही थीं, तब गौड़ा कर्नाटक के लगभग 2,000 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल को ट्रेन से दिल्ली ले गए और उनकी तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से चर्चा कराई।
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‘Penguin Random House India says’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है, ‘‘यह अभूतपूर्व था, विशेष रूप से एक पूर्व प्रधानमंत्री के लिए इस तरह से विरोध करना। दिल्ली में लोग हतप्रभ थे।’’
श्रीनिवासराजू ने पुस्तक में आगे बताया कि, ‘‘किसानों के लिए गौड़ा की आजीवन प्रतिबद्धता, और किसान समुदाय के प्रति उनकी नीतिगत पहल और 1996-97 के शानदार किसान समर्थक बजट के लिए पंजाब के किसानों ने उस वक्त धान की बेहतरीन किस्मों में से एक को ‘देवगौड़ा’ के रूप में नामित किया, जब उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पद छोड़ा।
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उन्होंने आगे लिखा, ‘‘आमतौर पर अच्छी तरह से जानकारियों से अवगत रहने वाले गौड़ा खुद इस धान की किस्म के बारे में नहीं जानते थे। उन्हें इस बारे में तब पता चला जब कर्नाटक कैडर के पंजाब के आईएएस अधिकारी चिरंजीव सिंह ने 2014 में कन्नड़ अखबार के कॉलम में इसके बारे में लिखा।’’
किताब में यह भी कहा गया है कि कैसे 1996 में, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने मुजफ्फरनगर में एक बैठक में देवेगौड़ा को ‘दक्षिण के चौधरी चरण सिंह’ के रूप में सम्मानित किया।
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देवेगौड़ा सार्वजनिक जीवन में करीब सात दशक से हैं। उन्होंने होलेनारसीपुर तालुक विकास बोर्ड के सदस्य के रूप में शुरुआत की और 30 मई 1996 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर भारत के 11वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।