श्रीनगर की डल झील के किनारे बने शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में इस बैठक का आयोजन किया गया है। जहां अलग-अलग देशों के 60 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होने वाले हैं। सुरक्षा को देखते हुए आकाश से लेकर जमीन तक पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और मार्कोस कमांडो का पहरा यहां पर देखा जा रहा है।
इस बैठक के लिए 25 देशों के 60 प्रतिनिधि और देश के लेटिन संगठनों के 65 प्रतिनिधि कश्मीर पहुंच चुके हैं। यहां पर विदेशी पर्यटन की संभावनाओं पर मंथन किया जाने वाला है। बैठक शांत और सुरक्षित वातावरण में संपन्न हो सके इसके लिए मार्कोस कमांडो, एनएसजी कमांडो, सीआरपीएफ, जम्मू कश्मीर पुलिस और अन्य केंद्रीय खुफिया एजेंसी अपने काम में लगी हुई है।
30 साल बाद आयोजन
1986 के बाद कश्मीर की घाटी में कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयोजन हो रहा है। इसके पहले भारत और ऑस्ट्रेलिया का वनडे मैच यहां पर खेला गया था। सम्मेलन की बात की जाए तो जी-20 के 20 सदस्यों में से 17 देश शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा मित्र देशों के 8 प्रतिनिधि भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे। सऊदी अरब, चीन और तुर्किए ने इस सम्मेलन से दूरी बनाई हुई है, यह अरुणाचल प्रदेश में हुए सम्मेलन में भी शामिल नहीं हुए थे।
यहां का करेंगे दौरा
सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिनिधि बैठक के साथ ही चश्माशाही, परी महल, मुगल गार्डन का दौरा करने वाले हैं। इसके अलावा वह पोलो व्यू मार्केट भी जाएंगे, जिसका हाल ही में जनाधार किया गया है।
पर्यटन और ईको टूरिज्म को बढ़ावा
G20 शिखर सम्मेलन पर सभी की निगाहें टिकी हुई है। केंद्र सरकार के साथ जम्मू कश्मीर प्रशासन को यह उम्मीद है कि इस आयोजन के बाद क्षेत्र की पर्यटन क्षमता, एडवेंचर और इको टूरिज्म समेत फिल्म उद्योग में बढ़ावा देखने को मिलेगा। अगर सभी चीजें सही रहती है तो स्थानीय युवाओं के लिए कैरियर के अच्छे विकल्प उपलब्ध हो सकेंगे साथ ही जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था पुनर्जीवित हो सकेगी।
गोवा में अंतिम बैठक
पर्यटन की अंतिम बैठक गोवा में रखी गई है और यहीं पर ड्राफ्ट फाइनल किया जाएगा। केंद्रीय पर्यटन सचिव अरविंद सिंह का कहना है कि श्रीनगर में वर्किंग ग्रुप की ये एकमात्र बैठक है। हमें देशों की उत्कृष्ट प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है और सभी से ज्यादा से ज्यादा संख्या में यहां आने की बात हुई है यह काफी अच्छा है और हमने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।