लाखों कर्मचारियों को बड़ी सौगात, ग्रेच्युटी की लिमिट बढ़ी, प्रमोशन का भी लाभ, कैबिनेट की मंजूरी

दो से अधिक संतानों वाले कर्मचारियों को 22 साल बाद प्रमोशन मिलेगा।पहले ऐसे कर्मचारी जिनके 2002 के बाद दो से अधिक संताने है, उन्हें प्रमोशन नहीं मिलता था, लेकिन कैबिनेट के फैसले के बाद अब इन्हें लाभ मिलेगा।

Pooja Khodani
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Rajasthan Employees News : राजस्‍थान के सरकारी कर्मचारियों पेंशनरों के लिए खुशखबरी है।त्यौहारों के सीजन में राज्य की भजनलाल सरकार कर्मचारियों को 2 बड़ी सौगात दी है। राज्य सरकार ने कर्मचारियों की डेथ ग्रेच्‍युटी की लिमिट 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दी है।

इसके अलावा प्रमोशन का लाभ तृतीय और चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों को देने का फैसला किया है।  RGHS में पेंशनधारी कर्मचारियों को 20 हजार की जगह अब 30 हजार रुपए तक की आउटडोर सुविधा देने का भी फैसला लिया गया है।

राज्य कर्मचारियों के लिए गेच्युटी की लिमिट बढ़ी

डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचन्द बैरवा ने बताया कि राज्य कार्मिकों की ग्रेच्युटी एवं डेथ ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाते हुए 25 लाख करने को मंजूरी दी गई है। अब पुरुष एवं महिला कार्मिकों को CGHS की तर्ज पर अब RGHS में भी चिकित्सा सुविधा के लिए माता-पिता या अपने सास-ससुर में से किसी एक को सम्मिलित करने का विकल्प मिलेगा, बशर्ते माता-पिता या सास-ससुर आश्रित होने के साथ पुरुष अथवा महिला कार्मिक के साथ निवास करते हों। इस संबंध में बजट वर्ष 2024-25 की घोषणा की क्रियान्विति करते हुए राजस्थान सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम, 2013 के नियम 3(9) में संशोधन किया जाएगा।

 10 वर्षों तक बढ़ी हुई दर से पारिवारिक पेंशन का लाभ

डॉ. बैरवा ने बताया कि कार्मिक की सेवा में रहते हुए मृत्यु होने पर अब आश्रित को केंद्रीय कार्मिकों की तरह ही 10 वर्षों तक बढ़ी हुई दर से पारिवारिक पेंशन का लाभ मिल सकेगा। इन प्रावधानों के लिए राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 55 एवं 62 में संशोधन की अधिसूचना 1 अप्रेल, 2024 से प्रभावी होगी।

कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर भी बड़ा फैसला

राजस्थान जिला न्यायालय लिपिक वर्गीय स्थापन नियम 1986 के नियम 14 ए एवं 20 के उपनियम 4 और राजस्थान अधीनस्थ न्यायालय (चालक एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) सेवा नियम, 2017 के नियम 18 के उपनियम 4 एवं नियम 30 में संशोधन का अनुमोदन किया गया है। इन संशोधनों से न्यायालयों के उन लिपिकवर्गीय कार्मिकों, चालकों एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को राहत मिलेगी जो दो से अधिक संतान होने के कारण पदोन्नति से वंचित हो गए थे। अब उनकी पदोन्नति के लिए उस तारीख से विचार किया जा सकेगा, जिससे उनकी पदोन्नति देय हो गई थी और उन्हें नोशनल वेतनवृद्धि दी जा सकेगी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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