Good Friday 2023: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे? जानिए भारत का सबसे पुराना चर्च और प्रभु यीशु के आखिरी शब्द

Sanjucta Pandit
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Good Friday 2023 : गुड फ्राइडे ईसाई धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है, जो ईसा मसीह के बलिदान के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को काले दिन के नाम से भी जाना जाता है, जो ईसा मसीह की यातना और क्रुसफिक्सन को स्मरण करता है। गुड फ्राइडे का नाम अंग्रेजी में “Good Friday” से आया है, जिसका अर्थ होता है “अच्छा शुक्रवार”।

Good Friday 2023: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे? जानिए भारत का सबसे पुराना चर्च और प्रभु यीशु के आखिरी शब्द

इस दिन ईसाई लोग शोक में बैठते हैं और इस दिन धार्मिक अध्ययन और भक्ति के लिए समय निकालते हैं। जिसके बाद ईस्टर का त्योहार आता है जो ईसा मसीह की उठाने के दिन के रूप में मनाया जाता है। इसलिए गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है। इसे विभिन्न तरीकों से दुनिया भर में मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन को दुखद और उदास दिन मानते हैं जबकि कुछ लोग इस दिन को धार्मिक त्योहार के रूप में मनाते हैं।

भारत का सबसे पुराना चर्च

सेंट थॉमस चर्च भारत के धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह चर्च सेंट थॉमस द्वारा स्थापित सात चर्चों में से एक है और भारत की सबसे पुरानी चर्च है। इस चर्च में सेंट थॉमस की अस्थियां भी रखी हुई हैं, जिन्हें इटली के ओरटोना से लाया गया था। सेंट थॉमस चर्च को मारत्तोमा पोंटिफिकल श्राइन भी कहा जाता है।

भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत सेंट थॉमस द्वारा हुई थी और मान्यता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत सबसे पहले केरल के तटीय नगर क्रांगानोर से हुई थी। सेंट थॉमस ईसा मसीह के 12 प्रमुख शिष्यों में से एक थे और उन्होंने ही सेंट थॉमस 52 ए.डी में इस चर्च को बनवाया था। सेंट थॉमस ने भारत आने के बाद सात चर्च बनाए थे, जिनमें सेंट थॉमस चर्च भी शामिल थी। इस चर्च से कोच्चिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट की दूरी करीब 30 किलोमीटर है।

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पर्यटकों को करते हैं आकर्षित

सेंट थॉमस के दाहिने हाथ की अस्थि को इटली के ओर्तोना से यहां लाकर रखा गया था जो आज भी इस चर्च में संभाली जाती है। इस चर्च के निर्माण में खंडहर से निकाले गए चट्टान और पत्थरों का उपयोग किया गया था। यह चर्च विश्व के सबसे पुराने चर्चों में से एक है और इसकी ऐतिहासिक महत्ता को संरक्षित रखने के लिए केरल सरकार ने इसे एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में घोषित किया है।

इस चर्च की विशेषताएं मूल रूप से इसकी स्थापत्य शैली, चट्टानों से बनी दीवारें, और सुंदर ताकतवर द्वार हैं। यह चर्च परियार नदी के किनारे स्थित है और उसके आसपास के क्षेत्र में कई अन्य आकर्षण हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

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प्रभु यीशु के आखिरी शब्द

वहीं, अंतिम सांस लेने के दौरान प्रभु यीशु के मुख से जो शब्द निकले वो ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं…’ थे। ये शब्द बाइबिल में दिए गए हैं। इन शब्दों के माध्यम से प्रभु यीशु दुनिया में न्याय की मांग करते हुए फँसे हुए लोगों को बचाने और उन्हें क्षमा करने के लिए अपनी आशीष देते हैं। यह उन्हें सभी के लिए प्रेम और करुणा के बारे में सीखाता है और उन्हें ये बताता है कि कैसे हम एक दूसरे को उपदेश देने के बजाय उन्हें क्षमा कर सकते हैं। साथ ही, अपने व्यवहार में प्रेम और करुणा का प्रदर्शन कर सकते हैं।

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Good Friday का इतिहास

दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि यीशु खुद को गॉड का पुत्र होने का दावा करते थे। इसलिए इस दिन यीशु को रोमन सेना ने गिरफ्तार कर लिया था। यीशु के दावों ने यहूदी धर्मगुरुओं को नाराज कर दिया था और उन्हें रोमन सत्ताधारियों के खिलाफ भी उकसाया था। जिसके कारण उन्हें सूली पर चढ़ाने की सजा सुनाई गई थी। ग्रंथों के अनुसार, उस समय ये घटनाएं पलट गईं थीं, जब यीशु के उपदेशों और विचारों ने बहुत से लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया था।

Good Friday 2023: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे? जानिए भारत का सबसे पुराना चर्च और प्रभु यीशु के आखिरी शब्द

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)


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Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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