8 लाख कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज! दिवाली से पहले जारी हो सकती है अक्टूबर की सैलरी

राज्य कर्मचारियों को छोड़कर बोर्ड, निगम और अकादमियों के कर्मचारियों के समय पर वेतन मिलने पर संशय है, क्योंकि अधिकतर बोर्ड, निगम या अकादमियों के कर्मियों को अन्य सरकारी महकमों की तरह वेतन आयोग का लाभ नहीं मिलता है।

Pooja Khodani
Published on -
employes news

Bihar Employees News :  बिहार के 8 लाख सरकारी अधिकारियोें कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। इस बार धनतेरस दिवाली को देखते हुए समय से पहले अक्टूबर का वेतन मिलने की उम्मीद है। खबर है कि इस संबंध में वित्त विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी है और जल्द आदेश जारी किए जा सकते है।बता दे कि राज्य में 8 लाख कर्मचारी विभिन्न विभागों, बोर्ड निगम और क्षेत्रीय कार्यालय में कार्यरत हैं, इनमें से 6 लाख स्थाई और शेष संविदा या नियोजित कर्मी हैं।

आमतौर पर बिहार सरकार हर माह की 30 तारीख को सरकारी कर्मचारियों के खाते में वेतन जारी कर देती है,  लेकिन इस बार धनतेरस उसके बाद दिवाली और फिर नवंबर के पहले सप्ताह में छठ महापर्व है, ऐसे में अक्टूबर की सैलरी समय से पहले जारी होने की उम्मीद है।चुंकी होली और दिवाली जैसे त्योहारों से पहले वेतन का भुगतान करना सरकार की परंपरा रही है।हालांकि दिवाली पर बोनस अलग से देने का प्रावधान नहीं है।

इन कर्मियों के समय पर वेतन मिलने पर संशय

राज्य कर्मचारियों को छोड़कर बोर्ड, निगम और अकादमियों के कर्मचारियों के समय पर वेतन मिलने पर संशय है, क्योंकि अधिकतर बोर्ड, निगम या अकादमियों के कर्मियों को अन्य सरकारी महकमों की तरह वेतन आयोग का लाभ नहीं मिलता है। इन कर्मचारियों को अक्सर कम वेतन मिलता है और उसमें भी देरी होती है। कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बकाया भुगतान का मामला भी लंबित है।

मानदेय-डीए की उठी मांग

एनएचएम कर्मचारी भी 77 दिनों के कार्य बहिष्कार के दौरान रोके गए मानदेय का इंतजार कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों ने नीतिश कुमार सरकार से महंगाई भत्ता और प्रोन्नति में देरी जैसे मुद्दों को भी हल करने की मांग की है। उन्होंने कर्मचारियों को एक जुलाई से लंबित महंगाई भत्ता का भुगतान करने की मांग की है।साथ ही उन्होंने सचिवालय कर्मचारियों की प्रोन्नति पर लगी रोक हटाने की भी मांग की है।


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News