Employees NPS : केंद्र सरकार द्वारा बड़ी तैयारी की जा रही है। इसके तहत पुरानी पेंशन योजना की बढ़ती मांग को देखते हुए कर्मचारियों को मिनिमम पेंशन गारंटी दी जा सकती है। इसके लिए एनपीएस के नियम में बदलाव किया जा सकता है। जिसके लिए तैयारी शुरू की गई है।
एनपीएस के नियमों में बदलाव
सरकार द्वारा एनपीएस के नियमों में बदलाव कर के कर्मचारियों को 40% से 45% एश्योर्ड मिनिमम पेंशन देने के नए फार्मूले पर काम किया जा रहा है। इस नियम के तहत कर्मचारियों के रिटायरमेंट से पहले जो आखरी सैलरी उसे मिल रही होगी, उसके आधार पर कर्मचारियों के लिए मिनिमम पेंशन की राशि तय की जा सकती है।
एश्योर्ड मिनिमम पेंशन देने के नए फार्मूले पर काम
कर्मचारियों द्वारा एनपीएस का विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस शासित राज्य सरकार द्वारा एनपीएस को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना को लागू कर दिया गया है। 5 महीने पहले हिमाचल की कांग्रेस सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया गया है। वहीं मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्य में भी कांग्रेस पुरानी पेंशन योजना को समाप्त करने का वादा कर चुकी है।
इससे पहले 6 अप्रैल को वित्त मंत्रालय ने कहा था कि पुरानी पेंशन योजना को हटाकर एनपीएस को लाया गया है। एनपीएस के कई फायदे हैं। वहीं नेशनल पेंशन स्कीम के रिव्यु करने के लिए कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी के रिव्यु के बाद सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाना चाहिए या नहीं। इस पर सरकार निर्णय लेगी। फिलहाल एनपीएस का रिव्यू किया जा रहा है।
नई पेंशन स्कीम लागू
इससे पहले सरकारी कर्मचारियों के लिए साल 2004 से पहले पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती थी। पेंशन रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों की सैलरी पर आधारित होती थी। इस स्कीम में रिटायर कर्मचारी की मौत के बाद उसकी फैमिली मेंबर को पेंशन राशि को प्रदान करने का नियम था। अटल बिहारी वाजपेई सरकार द्वारा अप्रैल 2005 में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था। इसके स्थान पर नई पेंशन स्कीम लागू की गई थी। बाद में अन्य राज्यों में भी एनपीएस को लागू कर दिया गया था।
एनपीएस में कर्मचारियों की बेसिक सैलरी प्लस महंगाई भत्ते का 10% हिस्सा कटता है। एनपीएस शेयर बाजार पर बेस्ड होती है। इसके साथ ही रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40% निवेश करना होता है जबकि 60 फीसद कर्मचारी निकासी कर सकते हैं। इस स्कीम में रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन राशि की गारंटी नहीं होती है। वही शेयर बाजार पर आधारित होने की वजह से इस राशि पर टैक्स का भी प्रावधान होता है।