Employees Retirement age Hike : उत्तर प्रदेश के शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यापन कर्मचारियों-शिक्षकों के हित में बड़ा फैसला सुनाया है।लखनऊ हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि इन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 3 साल बढ़ाई जाए।
दरअसल, न्यायमूर्ति ओपी शुक्ला की पीठ ने डॉ प्रेमचंद्र मिश्रा और अन्य की याचिका पर यह आदेश पारित किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है किलखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यापन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए। नियमों में आवश्यक बदलाव करने के लिए राज्य सरकार को तीन महीने का समय दिया गया है। 2023 में इस निर्देश के लागू होने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यापन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 3 साल और बढ़ जाएगी।
लागू होंगे ये नियम
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि केंद्र सरकार पहले ही यह निर्णय कर चुकी है कि केंद्र द्वारा वित्त पोषित उच्च एवं तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों के अध्यापन कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज बढ़ाकर 65 साल की जानी चाहिए। वही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2010 में सभी यूनिवर्सिटी को केंद्र के फैसले को लागू करने का निर्देश दिया, ऐसे में ये नियम लखनऊ विश्वविद्यालय पर भी लागू होते हैं, जिनका पालन होना चाहिए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रतिवादी राज्य को लखनऊ विश्वविद्यालय की विधियों में बदलाव करना होगा, जिसमें शिक्षण स्टाफ के सदस्यों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का प्रावधान है।
62 से बढ़कर रिटायरमेंट एज होगी 65 वर्ष
न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय के नियमों में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए अन्य उपाय) विनियम, 2010 की शर्तें के अनुसार बदलाव और संशोधन करने का आदेश दिया, जिसमें विश्वविद्यालयों और इससे संबद्ध कॉलेजों में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का प्रावधान है।