EPFO : फरवरी में कर्मचारियों-खाताधारकों को मिल सकती है ये बड़ी खुशखबरी, वित्त मंत्री के सामने रखी गई है मांग

बजट से पहले कर्मचारी संगठनों ने केन्द्र सरकार से अपील की है कि EPFO की पेंशन स्कीम के तहत न्यूनतम पेंशन राशि को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये प्रतिमाह किया जाए।

Pooja Khodani
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EPFO Employees News : 1 फरवरी 2025 को केन्द्र की मोदी सरकार अपना पूर्ण बजट पेश करने वाली है।किसानों, कर्मचारियों और युवाओं को इस बजट से बड़ी उम्मीदें है, इसलिए अलग-अलग संगठनों से जुड़े लोगों ने अपनी-अपनी मांगें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के सामने रखना शुरू कर दिया है।

कर्मचारी संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के सामने मांग रखी है कि EPFO से मिलने वाली पेंशन स्कीम के तहत न्यूनतम पेंशन (Minimum EPS pension) 1000 रुपये से बढ़ाकर 7500 रुपये प्रतिमाह की जाए। चुंकी 2014 की घोषणा के बावजूद न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये निर्धारित है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो केन्द्र सरकार निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की इस मांग पर विचार कर सकती है।इस बदलाव से निजी क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों को राहत मिलेगी।हालांकि ट्रेड यूनियनों ने इसे घटाकर 5,000 रुपये प्रति माह करने का सुझाव दिया है।

वित्त मंत्री के सामने रखी गई है ये मांग

  • गौरतलब है कि 10 जनवरी को ईपीएस-95 पेंशनभोगियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी और न्यूनतम 7,500 रुपये की मासिक पेंशन, महंगाई भत्ता (डीए) में वृद्धि और पेंशनभोगियों और उनके पति या पत्नी दोनों के लिए फ्री मेडिकल ट्रीटमेंट समेत कई मांगे रखी थी।
  • बैठक में वित्त मंत्री ने भी आश्वासन दिया था कि मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। समिति का कहना है कि सरकार की 2014 की घोषणा के बावजूद न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये निर्धारित है, 36.60 लाख से अधिक पेंशनभोगी अभी भी इस राशि से कम प्राप्त करते हैं।

ईपीएस 95 की वर्तमान स्थिति

ईपीएफ में दो तरह के खाते होते हैं, जिसमें से एक रिटायरमेंट पर एकमुश्त निकासी के लिए और दूसरा मासिक पेंशन भुगतान के लिए। नियोक्ता के 12% योगदान में से 8.33% पेंशन के लिए ईपीएस में जाता है, जबकि शेष 3.67% ईपीएफ को आवंटित किया जाता है।इसमें सरकार भी 1.16% का योगदान करती है।

न्यूनतम पेंशन पर इनके अलग मत

भारतीय मजदूर संघ के संगठन का कहना है कि कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (ईपीएस-95) के तहत दी जाने वाली न्यूनतम पेंशन को 1000 रुपये प्रति माह से बढ़कर 5000 रुपये किया जाना चाहिए। इसमें VDA को भी जोड़ा जाना चाहिए। वहीं कुछ ट्रेड यूनियनों ने भी इसे 5,000 रुपये प्रतिमाह करने की सिफारिश की है। हालांकि आंदोलन समिति ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह राशि पेंशनभोगियों की न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी, ऐसे में इसे बढ़ाकर 7500 रुपए करना चाहिए।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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