हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कर्मचारियों को मिलेगा लाभ, 3 महीने में एरियर भुगतान करने का आदेश

Pooja Khodani
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इलाहाबाद, डेस्क रिपोर्ट। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के हित में एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अल्पसंख्यक संस्थानों को कर्मचारियों की नियुक्ति का विशेषाधिकार है, इसमें राज्य सरकार हस्तक्षेप ना करें। वही 3 महीने में बकाया वेतन भुगतान करने के निर्देश दिए है।

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दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस सिद्धार्थ की एकलपीठ ने अलीगढ़ के अल्पसंख्यक संस्थान श्री उदय सिंह जैन कन्या इंटर कॉलेज में कार्यरत लिपिक मनोज कुमार जैन की याचिका पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने कहा कि गवर्नमेंट एडेड अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत विशेष अधिकार हैं। इसके तहत वे कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकते हैं। अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों की नियुक्ति प्रक्रिया में राज्य सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के अल्पसंख्यक संस्थान श्री उदय सिंह जैन कन्या इंटर कॉलेज में कार्यरत क्लर्क मनोज कुमार जैन की नियुक्ति को सही ठहराया है और जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) को मामले में फिर से फैसला लेने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा ऐसा लगता है कि डीआईओएस द्वारा बिना विवेक का इस्तेमाल कर आदेश पारित किए गए है।

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अलीगढ़ के अल्पसंख्यक संस्थान श्री उदय सिंह जैन कन्या इंटर कॉलेज में कार्यरत लिपिक ने अपनी याचिका में बताया कि स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने याची की लिपिक संवर्ग (Clerical cadre) में जनवरी 2018 में नियुक्ति की थी। जिस पर DIOS ने फाइनेंशियल अप्रूवल देने से मना कर दिया था। पिटीशनर ने 2018 में DIOS के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की थी, जिसमें कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश को रद्द करते हुए फिर से आदेश जारी करने को कहा था, लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षक ने दूसर बार भी फाइनेंशियल अप्रूवल देने से मना कर दिया था।

3 महीने में वेतन का भुगतान करने के आदेश

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा लिपिक को वित्तीय सहमति न प्रदान करने संबंधी आदेश को निरस्त करते हुए याची को वर्ष 2018 से वित्तीय सहमति प्रदान करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने याची को अगले तीन महीनों में वर्ष 2018 से अब तक का वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है। वही ऐसा ना होने की स्थिति में याची को 12 परसेंट ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया है। वही राज्य को भुगतान में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारी से ब्याज की वसूली करने की छूट दी है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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