राजस्थान हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, पत्नी के मौलिक अधिकारों के चलते दुष्कर्म के आरोपी को दी पैरोल

Diksha Bhanupriy
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अलवर, डेस्क रिपोर्ट। इन दिनों देश के अलग-अलग राज्यों में न्यायालय द्वारा ऐतिहासिक फैसले लिए जा रहे हैं। पंजाब में जहां जेल में बंद कैदियों का वंश आगे बढ़ाने के लिए जेल परिसर में ही एक कमरा बनाया गया है। तो वहीं अब राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने भी एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जो सुर्खियों में बना हुआ है। यहां पर कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के एक आरोपी को 15 दिन अपनी पत्नी के साथ रहने की इजाजत दी है।

तीन दिन पहले हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने के मामले में जेल में बंद 22 साल के राहुल बघेल को पैरोल पर रिहा किया है। राहुल अपनी पत्नी बृजेश के साथ 15 दिनों तक रहेगा। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि उसका वंश आगे बढ़ सके। राहुल अलवर जेल में बंद था और हाई कोर्ट का यह फैसला अलवर जेल तक पहुंचा दिया गया है।

नियमों के मुताबिक दुष्कर्म के आरोपियों को कभी पैरोल नहीं दी जाती है और ना ही उन्हें ओपन जेल में रखा जाता है। लेकिन आरोपी की पत्नी के मौलिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए उसे 15 दिन की पैरोल पर रिहा किया है। आरोपी की पत्नी ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उसने कहा था कि बच्चा पैदा करना उसका मौलिक और संवैधानिक अधिकार है। पहले अलवर डीजे कोर्ट में यह याचिका लगाई गई थी इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका में 30 दिन की पैरोल मांगी गई थी लेकिन कोर्ट की ओर से 15 दिन की अनुमति दी गई है।

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आरोपी की पत्नी ने याचिका सजा मिलने के 1 महीने बाद लगाई है। यह कहा गया है कि दंपत्ति को वंश आगे बढ़ाने से रोकना आर्टिकल 14 और 21 के खिलाफ है। डीजे कोर्ट में 7 दिन तक सुनवाई की प्रतीक्षा करने के बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई जिस पर 15 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी। राजस्थान में पास्को एक्ट के तहत जेल में बंद किए गए आरोपी को पैरोल पर छोड़ने का यह पहला मामला है और प्रदेश में किसी कैदी को पैरोल पर भेजने का यह दूसरा केस है। इससे पहले एक मर्डर के आरोपी को 15 दिन की पैरोल पर छोड़ा गया था।

राजस्थान हाई कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला कुछ कारणों को ध्यान में रखते हुए सुनाया है। कोर्ट का मानना है कि कैदी अच्छा आचरण अपना सके साथ ही उसके और परिवार के बीच के रिश्ते अच्छे बने रहे और समाज की मुख्यधारा में वह शामिल रहे उसे अलग ना समझा जाए यही वजह है जिसके चलते राहुल को पैरोल पर छोड़ने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा मां बनना उसकी पत्नी का संवैधानिक और मौलिक अधिकार है जो उससे नहीं छीना जा सकता है। यही वजह रही कि हाईकोर्ट ने अलवर सेंट्रल जेल के अधीक्षक को राहुल को जेल की शर्तों के अधीन पैरोल पर छोड़े जाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि जेल अधीक्षक जेल के नियमों के मुताबिक कुछ शर्तों के साथ उसे पैरोल पर छोड़ सकते हैं। इस पैरोल के लिए राहुल से 2 लाख रुपए के पर्सनल बॉन्ड के साथ 1-1 लाख के दो सिक्योरिटी बॉन्ड लेने के निर्देश दिए गए हैं।


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