इस वक्त प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है। दुनियाभर से श्रद्धालु आस्था के समागम का हिस्सा बनने के लिए पहुंच रहे हैं। अब हालात यह हो गई है की भीड़ बढ़ती जा रही है और संगम स्टेशन 14 फरवरी तक बंद कर दिया गया है। बड़ी संख्या में लोग गंगा में डुबकी लगाने के लिए महाकुंभ में पहुंच रहे हैं। रविवार दोपहर तक यहां संगम स्टेशन पर बढ़ती हुई भीड़ को देखकर ये तय किया गया की बहुत ज्यादा भीड़ आ रही है और यात्रियों को स्टेशन से बाहर नहीं निकाला जा सकता।
संगम स्टेशन पर भीड़ की वजह से जो स्थिति बन रही थी उसके फुटेज भी सामने आए थे। नागवासुकी मार्ग पर जाम लगा हुआ था और सड़कें भीड़ से भरी हुई नजर आ रही थी। संगम जाने के रास्ते पर पुराने पुल के नीचे लोग आपस में टकराने लगे थे। इसी को देखते हुए स्टेशन को बंद करने का निर्णय लिया गया। जो यात्री यहां आ चुके हैं या आएंगे उन्हें प्रयागराज जंक्शन, प्रयाग स्टेशन या फाफामऊ भेजा जाएगा।
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बंद किया गया संगम स्टेशन
बढ़ती हुई भीड़ को देखते हुए रविवार दोपहर 1:30 बजे संगम स्टेशन बंद किया गया। जैसे ही स्टेशन बंद किया गया थोड़ी देर में यह अफवाह होने लगी कि प्रयागराज जंक्शन बंद कर दिया गया है। हालांकि, स्पीकर्स के माध्यम से लगातार सूचनाएं प्रसारित की जाती रही। जिसकी वजह से अफवाह ज्यादा नहीं फैली और लोगों में अफरातफरी नहीं मची।
महाकुंभ में उम्मीद से ज्यादा भीड़ (Mahakumbh)
बता दें कि द्वादशी तिथि पर चंद्रमा मिथुन राशि में होने की वजह से शुभ संयोग निर्मित हो रहा था। इस संयोग में संगम तट पर स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। सुबह से लेकर रात तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं है डुबकी लगाई। पूरे महाकुंभ में अब तक 43.57 करोड़ श्रद्धालु स्नान करने पहुंच चुके हैं। इस बार ये आंकड़ा 55 करोड़ पार होने का अंदाजा है। अमृत स्नान पूरे हो गए हैं इसके बावजूद भी श्रद्धालुओं का प्रयागराज आना जारी है। पूरा मेला क्षेत्र खचाखच भरा हुआ है और कहीं भी जगह नहीं है।
बंद किए गए पुल
बढ़ती हुई भीड़ को देखते हुए पीपा पुलों को बंद किया गया। शनिवार को 1.22 करोड़ लोग पहुंचे थे और रविवार को यह संख्या 1.57 करोड़ थी। सुबह 3 बजे से शुरू हुआ स्नान रात तक जारी रहा। हर प्रमुख मार्ग पर लोगों की भीड़ थी और आने जाने के रास्ते पैक हो गए थे। संगम तट पर पुलिस और प्रशासन को भीड़ हटाने में काफी मशक्कत करने पड़ी। लगातार पुलिस श्रद्धालुओं को स्नान के बाद घाट पर न बैठने और अपने गंतव्य की ओर रवाना होने की समझाइश दे रही थी।