बचपन में खोई आंखे फिर भी नहीं मानी हार, बिना कोचिंग क्रैक किया UPSC का एग्जाम, पढ़िए IAS Pranjal Patil की सक्सेस स्टोरी

IAS Pranjal Patil : कहते है जितना कठिन संघर्ष होता है , जीत उतनी ही शानदार होती है, इस बात को देश की एक महिला आईएएस ऑफिसर प्रांजल पाटिल (IAS Officer Pranjal Patil) सिद्ध करके बताया है। उन्होंने आंखे ना होने के बावजूद बिना कोचिंग के सिर्फ एक Software की मदद से ना सिर्फ UPSC क्रैक किया बल्कि देश की पहली नेत्रहीन IAS ऑफिसर भी बनी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में प्रांजल पाटिल  तिरुवनंतपुरम की सब-कलेक्टर हैं और उन्हें केरल का कार्यभार सौंपा गया है।

ऐसा रहा स्कूल से यूपीएससी का सफर

आईएएस सक्सेस स्टोरी में आज हम बात आपको आईएएस ऑफिसर प्रांजल पाटिल (IAS Officer Pranjal Patil) की संघर्ष की कहानी बताने जा रहे है, जो अपने बुलंद हौंसलों के साथ जीवन की कई बाधाओं को पार कर भारत की पहली नेत्रहीन IAS अधिकारी बनीं है। प्रांजल पाटिल महाराष्‍ट्र के उल्‍हासनगर की रहने वाली है, 6 साल की उम्र में उन्होंने अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी, हालांकि बावजूद इसके प्रांजल ने कभी हार नहीं मानी और आगे बढ़ती चली गई।

प्रांजल ने मुंबई में कमला मेहता दादर स्कूल फॉर द ब्लाइंड से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली का रूख किया और   जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इंटरनेशनल रिलेशन्स में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री भी प्राप्त की । इसके बाद फिर पीएचडी और एम.फिल किया ।2016 में पहली बार और 2017 में दूसरी बार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2016 में शामिल हुई, उनकी रैंक 744 थी, जिसके बाद उन्होंने अगले साल दूसरा अटेंप्ट दिया और ऑल इंडिया 124वीं रैंक हासिल की।

बिना कोचिंग के इस सॉफ्टवेयर से की पढ़ाई

खास बात ये है कि प्रांजल ने आईएएस की तैयारी के लिए कभी कोई कोचिंग नहीं की, बल्कि इसके लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था, जो उन्हें जोर से किताबें पढ़कर सुनाता था। खबर है कि पाटिल ने कंप्यूटर स्क्रीन को पढ़ने में सक्षम होने के लिए JAWS सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल भी किया।  2017 की सिविल सेवा परीक्षा में 124वीं रैंक हासिल करने के बाद 2018 में उन्हें एर्नाकुलम, केरल में सहायक कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया था।वही भारतीय रेलवे लेखा सेवा में नौकरी देने से मना कर दिया गया था क्योंकि उन्हें दिखाई नहीं देता था। इसके बाद उन्होेंने कभी दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा, अपने कामों से ना सिर्फ सबका दिल जीता बल्कि समाज में भी अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी कामयाबी में NCPEDP-Mphasis Universal Design Award भी शामिल है।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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