International Girl Child Day 2021: बच्चियों के समग्र विकास से संवरेगा भविष्य, जानें इस दिन से जुड़ी विशेष बातें

Lalita Ahirwar
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पिछले कुछ वर्षों से महिलाओं और बालिकाओं के विकास, उनके अधिकारों व लैंगिक समानता जैसे विषयों पर विशेष जागरुकता के लिये हर स्तर पर कई प्रयास किये जा रहे हैं। इसी के मद्देनज़र विश्व स्तर पर बालिकाओं के समग्र विकास के लिये 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

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दरअसल कुछ वर्षों पहले तक दुनिया भर में हर क्षेत्र में बालिकाओं को लड़कों से कमतर समझा जाता रहा है। कन्या भ्रूण-हत्या, बाल-विवाह, अशिक्षा, एवं महज बच्चे पैदा करने तक सीमित रखने जैसी रुढ़िवादी प्रथाओं और कुरीतियों के प्रचलन के कारण उन्हें उनकी शिक्षा, समुचित पोषण, कानूनी अधिकारों एवं चिकित्सीय व्यवस्था जैसे मूल मानवीय अधिकारों से वंचित रखा जाता था। इसी लिंग भेद को खत्म करने और लड़कियों का संपूर्ण विकास के लिए 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) मनाने की शुरुआत हुई। आइये जानतें हैं विश्व बालिका दिवस के बारे में कुछ जरूरी बातें।

क्या है इसका इतिहास

कनाडा के गैर–सरकारी संगठन ‘ग्लोबल चिल्ड्रेन चैरिटी’ द्वारा विश्व स्तर पर बालिका दिवस मनाने की शुरुआत ‘प्लान इंटरनेशनल’ प्रोजेक्ट के रूप में हुई थी। इस संगठन ने ‘क्योंकि मैं एक लड़की हूं’ के नाम से एक मिशन शुरु किया, जिसमें लड़कियों की उच्च शिक्षा, सेहत और कानूनी अधिकारों जैसे मुद्दों को उठाया गया। इसके बाद इसी संगठन ने बालिकाओं से संबंधित ‘प्लान इंटरनेशनल’ की शुरुआत की। जिसे कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा। संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का दिन चुना। इस प्रकार पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया।

कब से मनाया जा रहा है अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2012 से हर साल 11 October को मनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को जागरूक करना है। अपने अधिकारों के लिए, अपनी सुरक्षा और बराबरी के लिए। जिससे वो आने वाली सभी चुनौतियों और परेशानियों का डटकर मुकाबला कर पाएं।

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अपने योगदान से संवारें बेटियों का भविष्य

आज के दौर में लड़कियां देश की सीमाओं पर तैनात हैं, पुलिस, खेल, सरकारी गैरसरकारी उच्च पदों, अंतरिक्ष, ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में लड़कों के समानांतर चल रही हैं, इतना ही नहीं बल्कि कुछ क्षेत्रों में उन्होंने लड़कों को पछाड़ा भी है। इसके बावजूद दुनिया के कई देशों में आज भी बालिकाओं के नैतिक विकास और उनके अधिकारों के लिए काफी कुछ करना बाकि है। खास तौर पर भारत जैसे विशाल देश में जहां आज भी आये दिन कन्या भ्रूण-हत्या, दैहिक एवं मानसिक अत्याचारों की खबरें सुर्खियां बन रही हैं। इसके लिये स्कूलों में लीगल स्टडी एक आवश्यक विषय के रूप में बच्चों को जरूर पढ़ाया जाना चाहिए, जिससे एक ओर एक स्तर तक आने से पहले लोग इनका इस्तेमाल करना सीख जाएं। साथ ही बचपन से ही सही और गलत का ज्ञान सभी बालक-बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा व शारीरिक शिक्षा का ज्ञान देना अनिवार्य करना चाहिए जिससे बालिकाओं को आत्मरक्षा के लिए किसी पर निर्भर न होना पड़े।


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