नई दिल्ली , डेस्क रिपोर्ट । हर साल 2 फरवरी को विश्व वैटलैंड( आर्द्रभूमि ) दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी पर वेटलैंड की महत्वपूर्ण भूमिका तथा उसके महत्व को वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के लिए “वर्ल्ड वेटलैंड डे” का आयोजन किया जाता है।
वेटलैंड अथवा आर्द्रभूमि का अर्थ होता है दलदली क्षेत्र अथवा पानी से संतृप्त भूभाग । वह क्षेत्र जो दलदली होती है, उसे वेटलैंड कहा जाता है। विश्व में बहुत से स्थान ऐसे हैं जहां पर साल भर पानी का जमाव होता है , वेटलैंड की मिट्टी अक्सर झील, नदी और तालाब के किनारे का हिस्सा होता है। भारत में वेटलैंड ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मॉनसून इलाकों और दक्षिण के नामी फैलाने वाले इलाकों तक फैला हुआ है । जानकारी के लिए बता दें कि वेटलैंड जल प्रदूषण को रोकने में भी सहायक होता है।
क्यों मनाया जाता है विश्व आर्द्रभूमि दिवस?
2 फरवरी 1971 में नदियों, तालाबों , झीलों इत्यादि की खराब स्थिति को देखते हुए ईरान के रामसर में वेटलैंड कन्वेंशन को अपनाया गया । तथा wetland के संरक्षण के लिए एक संधि पर भी हस्ताक्षर किए गए। तब से लेकर प्रतिवर्ष सरकारी एजेंसियों गैर सरकारी संगठनों और समुदाय के सभी स्तरों पर वेटलैंड की मूल्यों की सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने तथा उनके संरक्षण के उद्देश्य से इस दिवस कि शुरुआत कि गई थी ।
विश्व अद्ररभूमि दिवस थीम
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी world wetland day के अवसर पर एक थीम निर्धारित किया गया है । इस वर्ष का विषय “वेटलैंड्स एक्शन फॉर पीपल एंड नेचर (Wetlands Action for People and Nature)” है । इस विषय का अर्थ है मनुष्य और विश्व के लिए वेटलैंड्स की सुरक्षा तथा सतत विकास । बता दें कि भारत में कुल 47 रामसर साइट्स है । जिसमें से सुंदरवन सबसे बड़ा है तथा हिमाचल प्रदेश का रेणुका वेटलैंड सबसे छोटा है।