Modhera Surya Temple Gujarat : मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित है। यह मंदिर भारत के सबसे बड़े सूर्य मंदिरों में से एक है। मोढेरा सूर्य मंदिर में सूर्य देव की पूजा की जाती है। आप इसे पूरे साल घूम सकते हैं लेकिन गर्मियों में तापमान बहुत उच्च होता है इसलिए अधिक ठंडे मौसम में जाना अच्छा रहता है। स्थानीय त्योहारों जैसे कि मकर संक्रांति और छोटे उत्सवों के मौके पर मंदिर में भी विशेष आयोजन होते हैं। अगर आप इस स्थान को देखने जाते हैं, तो आप इसे दोपहर से पहले जाने की सलाह दिया जाता है क्योंकि इससे पहले आप मंदिर के समीप के इलाके में बटोरने वाली खूबसूरत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण
यह मंदिर आधुनिक भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसकी अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष विद्या से जुड़ी विभिन्न विषयों पर आधारित है। बता दें कि मंदिर का निर्माण सन् 1971 में हुआ था और इसका आकार 250 फुट लंबा, 200 फुट चौड़ा और 125 फुट ऊँचा है। मंदिर के दोनों ओर सौर मण्डल और नक्षत्र मण्डल के नकाश बनाए गए हैं, जो देखने में बहुत सुंदर लगते हैं। गुजरात के लोगों के लिए मोढेरा सूर्य मंदिर धार्मिक तथा पर्यटन दोनों के दृष्टिकोण से एक लोकप्रिय स्थल है। जानिए इस मंदिर से जुड़े अजीबो-गरीब रहस्य…
पहला रहस्य
सबसे पहले हम आपको मंदिर के इस रहस्य के बारे में बताते हैं, जिसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे। दरअसल, मोढेरा सूर्य मंदिर में कुल 52 स्तंभ हैं जो साल के 52 हफ्तों की जानकारी देते हैं। यह मंदिर चालुक्य वंश के शासनकाल में बनाया गया था जो कि सूर्य की पूजा करते थे। मंदिर के नृत्य मंडप में इन स्तंभों का उपयोग किया गया है। इन स्तंभों का ऊपर से देखने पर गोलाकार दिखते हैं जो कि साल के 52 हफ्तों के बारे में बताते हैं। जबकि इनको नीचे से देखने पर ये आठ कोनो वाले अष्टभुजाकार स्तंभ के रूप में दिखते हैं। इन स्तंभों की संख्या न केवल साल के हफ्तों को दर्शाती है बल्कि इन्हें हिन्दू धर्म में अलग-अलग अर्थों के साथ भी जोड़ा जाता है। इसके अलावा, इन स्तंभों की ऊंचाई और चौड़ाई में भी विभिन्न अर्थ होते हैं।
दूसरा रहस्य
इस मंदिर से जूड़ा दूसरा रहस्य सुनकर आप अचंभित हो जाएंगे। बता दें कि मंदिर में गर्भगृह के ऊपर के भाग में एक मुकुट होता है, जिस पर एक मणि लगी हुई है। यह मणि सूर्योदय की पहली किरण और खासकर 21 जून को पकड़ती है और उससे पूरे गर्भगृह में प्रकाश फैलता है। यह बहुत ही रोमांचक दृश्य होता है। जिसे देखने के लिए पर्यटक देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां 21 जून को पहुंचते हैं।
महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक
यह मंदिर भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर सूर्य भगवान के अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है जो अपनी अनूठी वास्तुकला और अत्यधिक प्रतिष्ठा के लिए जाना जाता है। यह मंदिर सौर विज्ञान और ज्योतिष विद्या के महत्वपूर्ण अंतर्गत आता है। मोढेरा सूर्य मंदिर में सौरमंडल और नक्षत्र मंडल के नकाश बनाए गए हैं जो इसे एक महत्वपूर्ण स्थल बनाता है।
सोलंकी वंश के राजा ने करवाया था निर्माण
यह मंदिर चालुक्य वंश के शासन के दौरान बनाया गया था। जिसे सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने बनवाया था और सूर्य उनके कुलदेवता थे। इसी कारण से यह मंदिर सूर्यदेव के प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल है। इसके गर्भगृह के भीतर की लंबाई 51 फुट और चौड़ाई करीब 25 फुट है। इस सूर्य मंदिर में देवी-देवताओं के चित्र से सजी हैं। रामायण और महाभारत के प्रसंगों को भी इसमें दर्शाया गया है। इस मंदिर का निर्माण सौरमंडल के प्रत्येक दिन के साथ जुड़ा हुआ है। मंदिर की आर्किटेक्चर ने सूर्य के प्रकाश और उसकी गति के अनुसार मंदिर के स्थान और संरचना का निर्माण किया था।
मंदिर में की गई थी तोड़फोड़
हालांकि, अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान मोढेरा सूर्य मंदिर में नुकसान पहुंचाया गया था और इसे तोड़ दिया गया था लेकिन यह भी सत्य है कि मंदिर अभी भी अपनी बेहतरीन शिल्प-कला, स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, यह मंदिर मार्च 2001 में भूकंप के झटकों का सामना करना पड़ा था लेकिन उसके बाद संरचना को पुनर्स्थापित करने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गईं। वर्तमान में मंदिर को एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में देखा जाता है और इसे भारतीय संस्कृति के एक महत्त्वपूर्ण भाग के रूप में जाना जाता है।