Leader of Opposition : लोकसभा चुनाव के नतीजों के आ जाने के बाद एक बार फिर भारतीय राजनीती में एक नया अध्याय लिख दिया गया है। दरअसल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के संसदीय दल में बड़ा फैसला किया गया है। इस बैठक में सभी नेताओं ने प्रधानमंत्री पद के लिए एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नाम का समर्थन किया है। दरअसल आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 जून को पीएम पद की शपथ लेंगे। वहीं इसके साथ ही अब एक सवाल उठता है कि संसद में विपक्ष का नेता कौन बनेगा? चलिए आज हम इस खबर में आपको बताएंगे कि विपक्ष का नेता (एलओपी) कौन होता है और उसे कौन-कौन सी सुविधाएं मिलती हैं।
किसे चुना जाता है नेता प्रतिपक्ष?
दरअसल नेता प्रतिपक्ष, जिसे लीडर ऑफ अपोजिशन भी कहा जाता है, वह नेता होता है जो विपक्ष में बैठता है। जानकारी के अनुसार यह पद उसी दल के एक सांसद को दिया जाता है, जिसके पास सदन की कुल सीटों का कम से कम 10 प्रतिशत होता है। लेकिन यदि विपक्ष के किसी भी दल के पास कुल सीटों का 10 प्रतिशत नहीं होता है, तो उस स्थिति में सदन में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं होता है।
जानिए क्या है नेता प्रतिपक्ष की शक्तियाँ?
जानकारी के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष की कई अहम शक्तियां होती है। वे सार्वजनिक लेखा, सार्वजनिक उपक्रम जैसी कई महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त, वे कई संयुक्त संसदीय पैनलों और चयन समितियों का हिस्सा भी होते हैं।
दरअसल आपको जानकारी दे दें की यह समितियां ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों की नियुक्ति भी करने का काम करती हैं। वहीं इसके अलावा, नेता प्रतिपक्ष केंद्रीय सतर्कता आयोग और केंद्रीय सूचना आयोग जैसे वैधानिक निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली समितियों में भी सदस्य होते हैं।
दरअसल आपको जानकारी दे दें कि 2014 और 2019 में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। इस दौरान, कांग्रेस के नेतृत्व वाले (यूपीए) गठबंधन को 10 प्रतिशत सीटें भी नहीं मिल पाईं थी, जिसके चलते संसद में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहा था।