12 साल के लड़के ने 3 साल की मासूम के साथ किया रेप, जांच में जुटी पुलिस

Gaurav Sharma
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झारखंड, डेस्क रिपोर्ट। देश भर में महिला सुरक्षा (Women security) को लेकर चाहे कितनी भी जुम्लेबाजी क्यों ना कर ली जाए, पर सच्चाई तो कुछ और ही है और उस सच्चाई से हर कोई वाकिफ है। आज के टाइम में महिला सुरक्षा  तो मुद्दा है ही पर जिस तरह से बच्चियों के साथ शारीरिक शोषण (sexual harassment)  के मामले सामने आ रहे है वो बहुत ही दयनिय है।

बच्चियों के शारीरिक शोषण (sexual harassment) को लेकर आए दिन मामले सामने आते रहते है, आज भी एक मामला झारखंड (jharkhand) से सामने आया है, जहां एक 3 साल की लड़की के साथ 12 साले के लड़के ने रेप (Rape) की वारदात को अंजाम दिया है।

दरअसल, सोमवार को मामले की पुष्टी करते हुए बताया कि झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में एक 12 साल के लड़के ने 3 साल की लड़की के साथ रेप (Rape) किया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पीड़िता के पिता शानिवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराने आए थे, जिसमें उन्होंने बताया था कि 4 नवंबर को उनकी बेटी के साथ रेप (Rape) की वारदात को अंजाम दिया गया है।

पुलिस ने बताया कि 12 साल के आरोपी ने पीड़िता के साथ उस वक्त वारदात को अंजाम दिया  जब वो परसुडीह थाना क्षेत्र की लोको कॉलोनी में अपने किराए के घर में खेल रही थी।

अधिकारी ने कहा कि आरोपी और उसके पिता को पकड़ने के लिए एक पैंतरा लॉन्च किया गया है, जिसके आधार पर आरोपी को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वहीं देरी से दर्ज हुई एफआईआर को लेकर अधिकारी ने कहा कि पीड़िता के पिता घर से बाहर गए हुए थे इसलिए केस देरी से दर्ज हुआ है। जांच शुरु कर दी गई है और कार्रवाई के तहत आरोपी को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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