Old Pension Scheme : हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। अनुबंध अवधि के कारण जिन कर्मचारियों की दस साल की नियमित सेवा पूरी न हुई हो, उन्हें अब ओपीएस का लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य सरकार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार ने इस संबंध एक कार्यालय आदेश जारी किया है।इसके तहत पात्र कर्मचारियों और पेंशनरों को अपना विकल्प देने के लिए एक माह का समय दिया गया है।बता दे कि राज्य सरकार ने मई 2003 से हिमाचल में NPS को लागू किया था। 31 मार्च 2023 को फिर से OPS शुरू की गई।
क्या लिखा है वित्त विभाग के आदेश में
सुप्रीम कोर्ट से आयुर्वेद विभाग की शीला देवी केस में एक फैसले के बाद 10 जून को वित्त विभाग ने कार्यालय आदेश जारी किए हैं, ऐसे कर्मचारियों या पेंशनरों की 10 साल की नियमित सेवा अनुबंध अवधि के कारण पूरी नहीं हुई, यह लाभ उन्हें मिलेगा। राज्य सरकार को ऐसे कर्मचारियों की अनुबंध अवधि पेंशन के लिए गिनना होगी, जो अनुबंध से सीधे नियमित हुए। इस फैसले को कुछ शर्तों के साथ लागू करने का निर्णय लिया है। हालांकि अभी जिन कर्मचारियों ने OPS के बजाय NPS के लिए विकल्प दिया है, वे कॉन्ट्रैक्ट सर्विस को पेंशन के लिए काउंट करने के पात्र नहीं होंगे।
ये रहेंगे नियम
- अनुबंध अवधि के कारण जिन कर्मचारियों की दस साल की नियमित सेवा पूरी न हुई हो, उन्हें अब ओपीएस का लाभ मिलेगा। हालांकि इसका लाभ केवल उन्हीं अनुबंध कर्मचारियों को मिलेगा, जिनका चयन हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग या कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के माध्यम से अनुबंध नीति में हुआ हो।
- अभी जिन कर्मचारियों ने ओपीएस के बजाय एनपीएस का विकल्प लिया है, वे अनुबंध सेवा की पेंशन गणना करने के पात्र नहीं होंगे।
- अनुबंध और नियमित सेवा के बीच कोई ब्रेक न हो।इस पूरी प्रक्रिया के लिए सभी कर्मचारियों को अपने विभागाध्यक्ष के माध्यम से 30 दिन में विकल्प देना होगा। नियमित हुए बगैर अनुबंध अवधि में ही मृत्यु हो गई है, तो पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।
- यदि किसी कर्मचारी या पेंशन में विकल्प नहीं दिया तो यह माना जाएगा कि वह कॉन्ट्रैक्ट सर्विस को सीसीएस पेंशन रूल्स 1972 के तहत काउंट नहीं करवाना चाहता है।
- यदि रेगुलर होने के बाद कर्मचारियों की मृत्यु हो गई है तो परिवार के सदस्य को नियमानुसार फैमिली पेंशन लगेगी।
- यदि बिना रेगुलर हुए अनुबंध अवधि में ही मृत्यु हो गई है, तो पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा. यह विकल्प मिलने के बाद संबंधित विभाग की कंपीटेंट अथॉरिटी कॉन्ट्रैक्ट सर्विस को काउंट कर इस बारे में एक ऑर्डर पास करेगी, जिसे संबंधित कर्मचारियों की सर्विस बुक में भी अटैच किया जाएगा।
जानिए क्या अंतर है OPS और NPS में
- OPS में सरकारी कर्मचारी के रिटायर होने के बाद आखिरी मूल वेतन और महंगाई भत्ते की आधी रकम बतौर पेंशन ताउम्र सरकार के राजकोष से दी जाती है। OPS में हर साल दो बार महंगाई भत्ता भी बढ़कर मिलता है,पेंशन पाने वाले सरकारी कर्मचारी की मौत होने पर उसके परिवार के पेंशन दिए जाना भी ओपीएस में शामिल हैं।
- नई पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारी को अपनी पेंशन में मूल वेतन का 10 फीसदी देना होता है और इसमें राज्य सरकार केवल 14% का ही योगदान देती है।
- OPS में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी मिलती है। ओपीएस में कर्मचारियों के लिए 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू किया जाता है।पेंशन कमीशन के लागू होने पर पेंशन रिवाइज्ड होने का फायदा भी रिटायर कर्मचारी को मिलता है।
- NPS में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का कोई स्थायी प्रावधान नहीं है।न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में 6 महीने के उपरांत मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू नहीं होता है। नई पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है। सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती।
- एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। इसमें महंगाई भत्ते का प्रावधान शामिल नहीं है।NPS में सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कुल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है।
- OPS के विपरीत नई पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के अनुसार जो भी पैसा मिलेगा,आपको उसपर टैक्स देना होता है।OPS में कर्मचारी के रिटायरमेंट पर GPF के ब्याज पर उसे किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता।