मन की बात : तिरंगामय हुआ पीएम ऑफिस, जाने पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से ‘मन की बात’ के 92 वें एपिसोड में कई विषयों पर सीधा संवाद किया। इस दौरान उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत तिरंगे अभियान से लेकर किसानों, अमृत सरोवर अभियान और डिजिटल इंडिया पर चर्चा की। इस बीच पीएम मोदी ने ग्रामीण भारत की सफलता की कहानियों का जिक्र करते हुए देशवासियों से अगले महीने शुरू हो रहे पोषण अभियान से जुड़ने की अपील भी की है।

मोटे अनाजों को ज्यादा से ज्यादा उपजाएं किसान

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पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया में बाजरे (Millets) का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसलिए इस पहल को सफल बनाने की जिम्मेदारी भी भारत के लोगों के कंधों पर है। हम सभी को मिलकर इसे जन आंदोलन बनाना है और देश की जनता में मोटे अनाज के प्रति जागरूकता भी बढ़ानी है। किसान भाइयों और बहनों से मेरा निवेदन है कि बाजरे यानी मोटे अनाज को ज्यादा से ज्यादा अपनाएं और इसका लाभ उठाएं।

पीएम ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2023 को International Year of Millets घोषित किया है। आपको ये जानकर भी बहुत खुशी होगी कि भारत के इस प्रस्ताव को 70 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था।

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डिजिटल इंडिया से बदल रही तस्वीर

पीएम मोदी ने डिजिटल इंडिया में युवाओं की बढ़ती दिलचस्पी का जिक्र करते हुए कहा, “जो सुविधाएं कभी सिर्फ बड़े शहरों में होती थी वो अब डिजिटल इंडिया के जरिए गांव-गांव में पहुंचा दी गई हैं। इंटरनेट ने युवा साथियों की पढ़ाई और सीखने के तरीकों को ही बदला है। कॉमन सर्विस सेंटर की तरह ही Government E- market place यानी GEM portal पर लोगों की कामयाबी की नई-नई कहानियां देखने को मिल रही हैं। इसलिए आप मुझे गावों के डिजिटल इंटरप्रेन्योर्स के बारे में, ज्यादा-से-ज्यादा लिखकर भेजें, और उनकी सफलता की कहानियों को सोशल मीडिया पर भी जरूर साझा करें।”

बच्चों की उपस्थिति बढ़ने के साथ ही कुपोषण भी हुआ कम

पीएम मोदी ने कहा, “आप कल्पना कर सकते हैं, क्या कुपोषण दूर करने में गीत-संगीत और भजन का भी इस्तेमाल हो सकता है? मध्य प्रदेश के दतिया जिले में “मेरा बच्चा अभियान” ने इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया। इसके तहत, जिले में भजन-कीर्तन आयोजित हुए, जिसमें पोषण गुरु कहलाने वाले शिक्षकों को बुलाया गया। एक मटका कार्यक्रम भी हुआ, इसमें महिलाएं, आंगनबाड़ी केंद्र के लिए मुट्ठी भर अनाज लेकर आती हैं और इसी अनाज से शनिवार को ‘बालभोज’ का आयोजन होता है। इससे आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ने के साथ ही कुपोषण भी कम हुआ है।”

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पहाड़ो में रहने वालें लोगों से सीखे बहुत कुछ

पहाड़ो पर रहने वाले लोगों की जीवनशैली का उदाहरण देते हुए पीएम ने कहा, “पहाड़ों की जीवन शैली और संस्कृति से हमें पहला सबक यह मिलता है कि अगर हम परिस्थितियों के दबाव में नहीं आते हैं, तो हम उन्हें आसानी से पार कर सकते हैं और दूसरा, हम स्थानीय संसाधनों से आत्मनिर्भर कैसे बन सकते हैं।”

आप सभी के पत्रों, संदेशों ने मेरे कार्यालय को तिरंगामय कर दिया: पीएम

अपने सम्बोधन के शुरुआत में ही पीएम मोदी ने कहा, “अगस्त के इस महीने में, आप सभी के पत्रों, संदेशों और कार्ड्स ने मेरे कार्यालय को तिरंगामय कर दिया है। मुझे ऐसा शायद ही कोई पत्र मिला हो, जिस पर तिरंगा न हो, या तिरंगे और आजादी से जुड़ी बात न हो। बच्चों ने, युवा साथियों ने तो अमृत महोत्सव पर खूब सुंदर-सुंदर चित्र, और कलाकारी भी बनाकर भेजी है।”

पीएम मोदी ने आगे कहा कि अमृत महोत्सव के ये रंग, केवल भारत में ही नहीं, बल्कि, दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले। बोत्स्वाना में वहां के रहने वाले स्थानीय गीतकारों ने भारत की आजादी के 75 साल मनाने के लिए देशभक्ति के 75 गीत गाए।


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Manuj Bhardwaj

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