Prakash Singh Badal: पद्म विभूषण विजेता थे प्रकाश सिंह बादल, बेटा-बहू करते हैं ये काम, जानें उनके जीवन से जुड़े तथ्य

Manisha Kumari Pandey
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Prakash Singh Badal: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 25 अप्रैल को अपनी अंतिम साँसे ली। 95 वर्ष की आयु में उन्होनें दुनिया को अलविदा कह दिया है। बादल को पंजाब की राजनीति का पुरोधा भी कहा जाता है। उन्होनें अपने पॉलिटिकल करियर में कई उतार-चढ़ाव देखें। पूर्व सीएम ने वर्ष 1947 में अपने राजनीति करियर की शुरुआत की थी। सरपंच पद पर चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। वह पाँच बार पंजाब के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।

प्रकाश सिंह बादल का जन्म और परिवार

प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को पंजाब के छोटे थे गाँव अबुल सीख परिवार में हुआ था। उनकी पत्नी सुरिंदर कौर की बहुत पहले ही मृत्यु हो चुकी है। उनका एक बेटा और एक बेटी है। उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और फिरोजापुर से MLA हैं। वहीं उनकी बेटी का विवाह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के बेटे से हुआ था।

बेटा-बहू करते हैं ये काम

सुखबीर सिंह बादल 1998-1999 के बीच केन्द्रीय राज्यमंत्री रह चुके हैं। 2001-2004 तक राज्यसभा के सदस्य भी बने रहें। 2008 में उन्होनें अकाली दल के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी। फिर 2012 में विधानसभा में जीत हासिल की। उनकी पत्नी हरसिमरत वर्तमान में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं। साथ ही भटिंडा लोक सभा से MLA भी हैं।

पद्म विभूषण से किया गया था सम्मानित

30 मार्च, 2015 को प्रकाश सिंह बादल को राष्ट्रपति द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। हालांकि वर्ष 2020 में हुए किसान आंदोलन से समय उन्होनें पुरुस्कार वापस कर दिया था। इसके अलावा उन्हें पंथ रत्न अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।

ऐसा रहा राजनीतिक करियर

वर्ष 1947 में सरपंच पद पर जीत हासिल करने के बाद बादल ने 1957 में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत का ताज अपने नाम किया। 1969 में उन्होनें दोबारा विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। 1970-71, 1977-80 और 1997-2002 में वह पंजाब के सीएम रह चुके हैं। वहीं 1972, 1980 और 2002 में वह नेता विपक्ष बने। मोरारजी देसाई कर शासन में वह साँसद भी बने। लेकिन पाँच बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद वर्ष 2022 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा रहा। आम आदमी पार्टी की लहर और किसान आंदोलन उनकी हार का सबसे बड़ा कारण साबित हुई।

 


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