राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता पर भी खतरा! क्या है बचाव का रास्ता?

Atul Saxena
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Rahul Gandhi’s Lok Sabha membership is also in danger : सांसद एवं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को आज 2019 के मोदी सरनेम से जुड़े एक मानहानि मामले में सूरत की अदालत ने दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई है। हालांकि कोर्ट ने तत्काल ही बेल देते हुए सजा को 30 दिन के लिए निलंबित करते हुए ऊपरी अदालत में जाने के विकल्प को खुला रखा लेकिन 2 साल की सजा होने के बाद अब चर्चा ये चल रही है कि क्या राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता भी खतरे में हैं?

सदस्यता को लेकर क्या कहता है कानून  

आपको बता दें कि जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक यदि किसी जनप्रतिनिधि को 2 साल या 2 साल से अधिक की सजा मिलती है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है ऐसे में राहुल गांधी की सदस्यता पर भी खतरा मंडरा रहा है, लेकिन इसमें क़ानूनी राहत का भी प्रावधान है।

कब नहीं होगा सदस्यता को खतरा, क्या हैं प्रावधान?

क़ानूनी प्रावधान ये कहता है कि यदि किसी जनप्रतिनिधि को निचली अदालत 2 साल या उससे ज्यादा की सजा सुनाती है तो वो ऊपरी अदालत में अपील कर सकता है और निचली अदालत के फैसले को चुनौती दे सकता है और वहां उसकी अपील स्वीकार होने के बाद बड़ी अदालत दोष सिद्धि को समाप्त कर देती है या सजा कम कर देती है तो सदस्यता पर कोई खतरा नहीं आयेगा।

गुजरात हाई कोर्ट में फैसले को दी जाएगी चुनौती 

चूँकि फिलहाल अभी सूरत की अदालत ने ही 2 साल की सजा सुनाने के बाद उसे 30 दिन के लिए निलंबित कर दिया है यानि ये सजा अभी प्रभावी नहीं होगी।  ऐसे में अब माना जा रहा है कि कांग्रेस जल्दी ही गुजरात हाई कोर्ट में सूरत कोर्ट के फैसले को चुनौती देगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे, राज्य सभा सदस्य एवं सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक तनखा ने इस मामले में कहा है कि पार्टी सभी क़ानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है और जल्दी ही इस फैसले को चुनौती दी जाएगी।

फैसले के बाद क्या बोले याचिकाकर्ता 

उधर सूरत कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्जा कराने वाले गुजरात के विधायक पुर्नेश मोदी ने मीडिया से कहा कि ये कोई राजनीतिक मामला नहीं है बल्कि एक सामाजिक मामला है, राहुल गांधी ने एक प्रतिष्ठित पूरे मोदी समाज को चोर कहा, मेरी भी मानहानि हुई इसलिए मैं अदालत गया।

“मोदी सरनेम” को लेकर राहुल ने दिया था विवादित बयान

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में बड़ा बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है। सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है? राहुल के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और फिर भाजपा विधायक पुर्नेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का प्रकरण दर्ज कराया था जिसका फैसला आज चार साल बाद आया है


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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