RBI का हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को तोहफा, मुख्य दरों में भी बदलाव नहीं।

Gaurav Sharma
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। शक्रवार 4 जून को भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी(monetary policy) घोषित की जिसके बाद बैंकिंग सेक्टर के साथ अन्य सेक्टरों ने राहत की सांस ली। आपको बता दें यह छटी बार हुआ है जब आरबीआई ने अपनी बेंचमार्क दरों (Benchmark Rates) में कोई बदलाव नहीं किया है। यह निर्णय मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee) ने लिया जिसके अध्यक्ष रिजर्व बैंक(Reserve Bank) के गवर्नर(Governor) श्री शशिकांत दास हैं।

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कमेटी द्वारा लिए गए मुख्य निर्णय।

कमेटी की अध्यक्षता कर रहे श्री दास ने बताया कि बेंचमार्क दरों(Benchmark Rates) में बदलाव न करने का निर्णय सभी सदस्यों ने एक सेमहती से लिया है। उन्होंने बताया की यह निर्णय न केवल देश की आर्थिक स्तिथि और ग्रोथ को नजर में रखकर लिया है बल्कि इससे आम जनता को भी फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया कि महंगाई को सीमा में रखने के लिए और मुद्राप्रसार(inflation) के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक था।

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बेंचमार्क दरों पर बात करते हुए श्री दास ने बताया कि पहले की तरह ही रेपो रेट(repo rate-जिसपर बैंक RBI से पैसा उधार लेते हैं) को 4% पर, रिवर्स रेपो रेट(reverse repo rate-जिसपर बैंक अपना पैसा rbi को उधार देते हैं) को 3.35% पर, और कैश रिजर्व रेश्यो (cash reserve ratio) को 4% पर यथावत रखा गया है। इस कदम से आमजन जो बैंक से लोन लेना चाहते हैं वह कम दरों (Interest Rate) में लोन ले सकेंगे।

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हालांकि कोरोना की दूसरी लहर की वजह से जो 10.5% इकोनॉमिक ग्रोथ(Economic growth) का लक्ष्य केंद्रीय बैंक द्वारा “FY 22” के लिए तय किया गया था , उसे कम करके 9.5% कर दिया गया है।

RBI का हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को तोहफा, मुख्य दरों में भी बदलाव नहीं।

सरकार की मदद के लिए रिजर्व बैंक ने 40,000 करोड़ रुपए की गवर्नमेंट सिक्योरिटीज(Government Securities) खरीदने का निर्णय लिया है। इस कदम से सरकार को अपने विकास कार्यों को जारी रखने में मदद मिलेगी।

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कोरोना की मार की बात करें तो सबसे ज्यादा इसका प्रभाव हॉस्पिटैलिटी सेक्टर (hospitality sector) पर पड़ा है। बात करें होटलों की, रिजॉर्ट की, या टूरिज्म सेक्टर की, दो साल से कोरोना की मार झेलते हुए इनकी आर्थिक स्तिथि बदतर हो चुकी है। इसी बात को ध्यान में रखते हैं केंद्रीय बैंक ने इस “कॉन्टैक्ट इंटेंसिव सेक्टर”(Contact Intensive Sector) को 15000 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी विंडो(liquidity window) देने का निर्णय लिया है जिसकी मदद से सभी बैंक इस सेक्टर से जुड़े व्यापारियों और बिज़नेस को फ्रेश लोंस(Fresh Loans) प्रदान कर सकेंगे। यह कदम न केवल इस सेक्टर के लिए लाभकारी साबित होगा बल्कि इससे देश की आर्थिक स्तिथि और रोज़गर वृद्धि में भी मदद मिलेगी।

आपको बतादे आज से दो दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल जी ने अपनी कांफ्रेंस में बताया था की देश की आर्थिक स्तिथि में धीरे धीरे सुधार आ रहा है और बहुत जल्द ही हम वापस देश की अर्थव्यस्था को वैसे ही प्राप्त कर लेंगे जैसे कोरोना से पहले थी। उम्मीद है केंद्रीय बैंक के इन प्रयासों से कोरोना की मार झेल रहे हैं हमारे देश को राहत मिलेगी और विकास का पहिया फिर से पूरी रफ़्तार से समृद्धि की सड़क पर दौड़ेगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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