नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। अब आपको असली या नकली दवा को लेकर संशय करने की या डरने की ज़रूरत नहीं है, अब दवा की खरीदी चाहे किसी मेडिकल स्टोर से करें या ऑनलाइन, आप दवा के बारे में सारी जानकारी एक स्कैन से पा सकेंगे। दरअसल, दवाओं के निर्माण में लगने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) पर सरकार ने क्यूआर कोड लगाने के आदेश दिए हैं। यही वजह रही कि अब ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी ने तय कर लिय्या है कि पेन किलर्स, विटामिन्स के सप्लीमेंट, ब्लड प्रेशर, शुगर और कॉन्ट्रासेप्टिव दवाओं सहित 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाए जाएँगे । इससे ना केवल दवाओं की कीमतों में पारदर्शिता आ जाएगी बल्कि इसकी कालाबाजारी पर लगाम कसी जा सकेगी।
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एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई), जो दवाओं के बनाने में काम आते हैं, उन पर में क्यूआर कोड लगने से इसके निर्माण में गलत फॉर्मूला का इस्तेमाल किया गया है या नहीं, इस बात का पता आसानी से लगाया जा सकेगा। यही नहीं, दवा को बनाने और बिक्री की पूरी जानकारी, यानि कि कच्चा माल आने और दवा के जाने के ठिकाने की पूरी जानकारी क्यूआर कोड से लग सकेगी। साल 2019 में ही ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने इसकी मंजूरी दे दी थी।
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हालाँकि ग्राहकों और सरकार के लिए यह फायदेमंद है लेकिन फार्मा इंडस्ट्री के जानकारों के अनुसार छोटे या मध्य आकार के व्यवसायियों के लिए इस बदलाव पर अमल करना मुश्किल होगा। मुश्किल पैकेजिंग में बदलाव की है, क्योंकि इसमें मेहनत और पैसा दोनों जाएगा। हालांकि, फार्मा कंपनियों का यह कहना है कि सिंगल क्यूआर सिस्टम होने से सुविधा होही, क्योंकि अभी अलग-अलग विभागों से दवाओं की ट्रेसिंग की जाती है।
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खबरों के अनुसार नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने बड़े बड़े ब्रैंड भी इन 300 दवाओं की लिस्ट में डाले हैं। जैसे – डोलो, सैरिडॉन, फैबीफ्लू, इकोस्प्रिन, लिम्सी, सुमो, कैलपोल, थाइरोनॉर्म, अनवांटेड 72 और कॉरेक्स सिरप। यह दवाएं बुखार, सिरदर्द, प्रेग्नेंसी से बचने, खासी, विटामिन कमी,आदि होने पर प्रयोग की जाती हैं। खबर के अनुसार दवाओं की लिस्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी जा चुकी है।