कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, वेतन-पेंशन पर अपडेट, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिए ये आदेश, जल्द मिलेगा लाभ

न्यायाधीश ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि जब से कोर्ट ने आदेश दिया है, उसी तारीख से होमगार्ड जवानों को पुलिस कर्मियों के समकक्ष समान कार्य का समान वेतन का लाभ देना है।

Pooja Khodani
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Jharkhand Home Guard : झारखंड के होमगार्ड जवानों के लिए राहत भरी खबर है। झारखंड उच्च न्यायालय जवानों के हित में अहम फैसला सुनाते हुए राज्य भर के होमगार्ड जवानों को बढ़े हुए वेतन का लाभ देने का आदेश दिया है।साथ ही झारखंड सरकार ने इस आदेश को चार सप्ताह के अंदर  पालन करने का निर्देश भी दिया है।

यह फैसला शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एसएन पाठक ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।इसके तहत होमगार्ड जवानों को पुलिस कर्मियों के समकक्ष समान कार्य का समान वेतन का लाभ 25 अगस्त 2017 से दिया जाएगा।होमगार्ड जवानों की ओर से बहस सर्वोच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता केएल जनजानिया, अभय कांत मिश्रा, झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डीके चक्रवर्ती और अशोक सिंह ने किया।

पुलिसकर्मियों की तरह समान कार्य समान वेतन

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब से कोर्ट ((Jharkhand High Court) ) ने आदेश दिया है, उसी तारीख से होमगार्ड जवानों को पुलिस कर्मियों के समकक्ष समान कार्य का समान वेतन का लाभ देना है।इधर 10 अगस्त को भी मुख्यमंत्री के द्वारा होमगार्ड जवानों को पुलिस कर्मियों के समकक्ष समान कार्य का समान वेतन देने का आदेश जारी किया गया था।

हाईकोर्ट ने दैनिक वेतनभोगियों को भी दी राहत

  • उत्तराखंड की नैनीताल हाईकोर्ट ने भी दैनिक कर्मियों के हित में बड़ा फैसला सुनाया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने विनियमितीकरण से पूर्व की सेवा को पेंशन और अन्य देयकों के प्रयोजनों के लिए जोड़ने के निर्देश दिए हैं यानी उन्हें पिछली सेवा से पेंशन और अन्य देयकों का लाभ देने का आदेश दिया है। इस फैसले से हजारों दैनिक वेतन कर्मी लाभान्वित होंगे।
  • मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने वन विभाग के विनियमित दैनिक वेतन कर्मी सुरेश कंडवाल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्णय जारी किया।युगलपीठ ने 14 जून को इस मामले में अंतिम सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
  • याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में सर्वोच्च न्यायालय और उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि विनियमितीकरण से पूर्व की सेवाओं को पेंशन और ग्रेच्यूटी के प्रयोजनों के लिए गिना जाना चाहिए, यानी ऐसे कर्मचारियों को विनियमितीकरण से पूर्व की सेवा से पेंशन और अन्य देयकों का लाभ मिलना चाहिए।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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