रोडरेज मामला: 34 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बदला अपना फैसला, सुनाई नवजोत सिंह सिद्धू को 1 साल की सजा

Manisha Kumari Pandey
Published on -

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। Navjot Singh Sidhu Raodrage case:- सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने 34 साल पुराने रोडरेज के केस में पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रेसिडेंट नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को 1 साल की कड़ी सजा सुनाई है। बता दें कि 34 साल पहले सिद्धू पर एक बुजुर्ग की हत्या के आरोप लगे थे, जिसपर आज सुप्रीम ने सजा सुनाई है। कथित तौर पर सिद्धू के हमले के कारण एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उन पर ₹1000 का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था, लेकिन अब उन्हें कोर्ट ने सजा सुना दी है। इस मामले में पंजाब पुलिस को भी कानून को मानना होगा और उनकी गिरफ़्तारी भी हो सकती है।

यह भी पढ़े… CUET-PG: यूजीसी ने शुरू की PG कोर्स के लिए दाखिले की प्रक्रिया, आवेदन प्रक्रिया शुरू, जाने कब होगी परीक्षा

क्या है मामला?

जानकारी के लिए बता दें कि फिलहाल सिद्धू पटियाला में मौजूद है और वहाँ महंगाई को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं। इन दिनों वह काफी सुर्खियों में है। बात इस मामले की करें तो यह मामला 34 साल पहले का है। साल 1988 में पार्किंग के दौरान पटियाला में 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग से सिद्धू का झगड़ा हुआ था, इस बीच दोनों में हाथापाई भी हुई, जिस दौरान कथित तौर पर गुरनाम सिंह को सिद्धू ने मुक्का मारा और उनकी मौत हो गई। उनपर गुरनाम सिंह के हत्या का मामला दर्ज है। हालांकि सेशन कोर्ट ने 1999 में उन्हें बरी कर दिया था, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिद्धू को 1 साल की सजा सुना दी है।


About Author
Manisha Kumari Pandey

Manisha Kumari Pandey

पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है।अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"

Other Latest News