कौन थीं रोसा बॉनहूर जिसे Google ने समर्पित किया है आज Doodle

Gaurav Sharma
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दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। 18 वी सदी की बात करें तो यह वह समय था जब विदेश में महिलाओं ने अपने हक के लिए लड़ना शुरू किया था। वे चाहती थी कि उन्हें भी मर्दों के समान अधिकार मिलें। पर यह इतना आसान न था। पर फिर भी कई महिलाएं ऐसी थी जिन्होंने ना हार मानी ना हीं कदम रोके। ऐसी ही एक महिला थी रोसा बोनहूर (Rosa Bonheu) जिन्हें गूगल ने आज अपना डूडल समर्पित किया है।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।