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Sun, Dec 21, 2025

Smriti Irani Birthday: ‘तुलसी’ जिसने गांधी परिवार के बरगद को अमेठी से उखाड़ फेंका

Written by:Gaurav Sharma
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Smriti Irani Birthday: ‘तुलसी’ जिसने गांधी परिवार के बरगद को अमेठी से उखाड़ फेंका

Happy Birthday Smriti Irani: स्मृति मल्होत्रा ईरानी जिन्हें भारत का घर-घर तुलसी वीरानी के नाम से जानता है। कभी अपनी अदाकारी से करोड़ों भारतीयों के दिलों में और घरों में बसी स्मृति ईरानी आज राजनीति के जरिए करोड़ों भारतीयों के घरों को संवारने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं। दबंग व्यक्तित्व और उससे भी दबंग आवाज के साथ संसद के अंदर जब स्मृति सरकार का पक्ष रखती हैं तब विपक्ष उन्हें केवल सुनता ही रह जाता है। अलग-अलग दायित्वों को निभाती हुई स्मृति कभी बीजेपी की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम करती हैं, महिला बाल विकास मंत्री के रूप में काम करती हैं तो कभी एचआरडी मिनिस्टर के तो कभी इनफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्टर के रूप में काम करती हैं। लेकिन जो एक समान बात उनके हर एक रूप में काम करने के दौरान रहती है वह है काम के प्रति उनकी निष्ठा और सेवा का भाव। 

आज स्मृति ईरानी का जन्मदिन है, आइए जानें कि कैसे क्योंकि सास भी कभी बहू की तुलसी ईरानी आज हर घर की स्मृति बन चुकी हैं।

23 मार्च 1976 में पैदा हुई स्मृति अपने पिता अजय कुमार मल्होत्रा और मां शीना बागची की तीन बेटियों में सबसे बड़ी बेटी हैं। इनकी मां का जुड़ाव जन संघ से तो इनके दादा का जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से रहा है।

नई दिल्ली से प्रारंभिक पढ़ाई करने के बाद स्मृति ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन के लिए दाखिला लिया लेकिन इसे वह पूरा नहीं कर सकीं। 2001 में स्मृति का विवाह ज़ुबिन ईरानी से हुआ। स्मृति ने एक बेटे और एक बेटी को जन्म दिया।

यूं तो एक्टिंग करियर में स्मृति ने वर्ष 1998 में ही प्रवेश कर लिया था लेकिन उन्हें पहचान वर्ष 2000 में आए एकता कपूर के सीरियल ‘क्यूंकि सास भी कभी बहू थी’ से मिली। इस सीरियल में अपने किरदार को लेकर स्मृति ने लगातार पांच सालों तक बेस्ट एक्ट्रेस पॉपुलर का इंडियन टेलिविजन अवॉर्ड अपने नाम किया। इसके अलावा जो सबसे ज्यादा चर्चित रोल स्मृति ईरानी ने टीवी इंडस्ट्री में रहकर किया वह था नितीश भारद्वाज की रामायण में सीता का किरदार, जिसे लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया। लगभग वर्ष 2007–2008 तक स्मृति एक्टिंग में पूरी तरह एक्टिव रहीं।

हालांकि एक्टिंग करियर के बीच में ही स्मृति ने वर्ष 2003 में भारतीय जनता पार्टी को भी ज्वाइन किया। वर्ष 2004 में उन्हें महाराष्ट्र यूथ विंग के वाइस प्रेसिडेंट के रूप में नियुक्त किया गया। 14 वीं लोकसभा में स्मृति ईरानी ने चांदनी चौक से कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें बुरी तरह शिकस्त का सामना भी करना पड़ा।

वर्ष 2009–2010 में स्मृति ईरानी ने भारतीय जनता पार्टी में रहकर न केवल प्रचार प्रसार किया बल्कि महिला विंग और महिला मोर्चा के पदों पर रहते हुए अपने कर्तव्यों का बेहतर तरीके से निर्वहन भी किया। इसी बीच 2011 में भारतीय जनता पार्टी द्वारा स्मृति ईरानी को राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुना गया।

स्मृति की राजनीति में पूरी तरह बदलाव तब आया जब उन्हें कांग्रेस के सबसे ताकतवर और सबसे दिग्गज नेता राहुल गांधी के खिलाफ उन्हीं की पैतृक सीट अमेठी से उतारा गया। यह कदम स्मृति के लिए न केवल एक राजनेता के रूप में जीवन में बदलाव लेकर आया बल्कि एक महिला के रूप में सशक्तिकरण का बहुत बड़ा उदाहरण देखा गया। हालांकि इस चुनाव में उन्हें लगभग 1 लाख वोटो से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और वह उतनी ही दृढ़ता से पार्टी में कार्य करती रही।

इन सभी बातों को देखकर हार के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने का मौका दिया। हालांकि एचआरडी मिनिस्टर के तौर पर स्मृति को काफी विरोध का सामना भी करना पड़ा लेकिन उसके बावजूद उन्होंने अपना कार्यभार बखूबी संभाला। एचआरडी मिनिस्टर रहते हुए स्मृति ने विभिन्न विश्वविद्यालय में अलग-अलग तरह के रिफॉर्म किए। योग डिपार्टमेंट की शुरुआत भी स्मृति द्वारा ही कराई गई थी।

सके बाद उन्हें टेक्सटाइल मिनिस्टर के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई और फिर मिनिस्टर ऑफ़ इनफार्मेशन और ब्रॉडकास्टिंग के रूप में उन्होंने अपने दायित्वों को निभाया। वर्ष 2014 में हार का सामना कर चुकी स्मृति 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ उतरने के लिए कमर कसकर तैयार थीं। पी

2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को उन्हीं के गढ़ अमेठी में हराकर न केवल स्मृति ने अपने नाम और काम का दम पूरे देश को दिखाया, बल्कि कहा जाए “तुलसी ने बरगद के पेड़ को जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया”। स्मृति ईरानी ने इस चुनाव में राहुल गांधी को लगभग 50 हज़ार वोटो से मात दी थी। 

स्मृति का यह जन्मदिन इसलिए भी खास होने वाला है क्योंकि इस बार भी लोकसभा चुनाव है और इस बार भी भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने स्मृति ईरानी पर अमेठी को लेकर भरोसा जताया है। सबसे खास बात यह भी है की खबरों की माने तो गांधी परिवार का कोई भी सदस्य इस बार अमेठी से चुनाव नहीं लड़ रहा है। अब इसे स्मृति के काम की जीत कहें या स्मृति के नाम की जीत कहें यह जीत स्मृति मल्होत्रा ईरानी की ही जीत कहलाएगी।